शक्ति की उपासना याने माँ अम्बा की उपासना। माँ अम्बे को जगत जननी भी कहा जाता है। जगत का कल्याण करने वाली माता अम्बे की भक्ति में भक्तगण लीन हो जाते है। यहाँ Ambe maa ki Aarti का वर्णन किया गया है। जिसे माता के भक्त सुबह साम भाव पूर्वक पठन करते है।
नवरात्रि के नो दिन माता की आराधना का विशेष महत्व है। इसके साथ पौराणिक कथा शामिल है। महिषासुर नाम के राक्षस से सभी देव परेशान हो गए थे। माता अम्बे ने महिषासुर राक्षस से युद्ध किया। नो दिन तक भीषण युद्ध के बाद जगत जननी माता अम्बे ने महिषासुर का वध किया था। तब से नवरात्री में माता की विशेष पूजा होती है।
नवरात्रि भारत देश के अलग – अलग राज्यों में मनाई जाती है। इसमें गुजरात राज्य में मनाई जाने वाली नवरात्रि पुरे विश्व का ध्यान अपने तरफ खींचती है। हज़ारो नवयुवान और युवतिओं डांडिया रास के साथ गरबे घूमते है। और माता की आराधना करते है। हररोज (Ambe maa ki Aarti) माता की आरती की जाती है।
माता अम्बे की आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी – Ambe maa ki Aarti
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत,हरी ब्रह्मा शिवरी।
ॐ जय अम्बे गौरी …..
मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चंद्र वदन निको।
ॐ जय अम्बे गौरी ……
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे।
रक्त पुष्प गल माला, कंठन पर साजै।
ॐ जय अम्बे गौरी ……
केहरि वाहन राजत, खडग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।
ॐ जय अम्बे गौरी…..
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योति।
ॐ जय अम्बे गौरी…..
शंभु-निशंभु बिदारे, महिसासुर धाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।
ॐ जय अम्बे गौरी……
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु -कैटभ दोउ मारे,सुर भय हिन् करे।
ॐ जय अम्बे गौरी……
भ्रह्माणि रुद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बरख़ानी, तुम शिव पटरानी।
ॐ जय अम्बे गौरी……
चौसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बजात डमरू।
ॐ जय अम्बे गौरी……
तुम्ही जग की माता, तुम्ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हर्ता, सुख सम्पति करता।
ॐ जय अम्बे गौरी……
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।
मन वांछित फल पावत, सेवत नर नारी।
ॐ जय अम्बे गौरी…….
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्री माल केतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।
ॐ जय अम्बे गौरी…….
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी…….
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
माँ अम्बे की उपासना का महत्व
आसुरी शक्ति के सामने दैवीशक्ति की विजय होता है। माता अम्बा की उपासना हमें शक्ति प्रदान करती है। संसार में मानव जीवन बहुत सारे उतर चढाव के साथ आगे बढ़ते है। काम, क्रोध, लोभ मोह, माया जैसे दुर्गुण न चाहते हुए भी मानव में आ जाते है। ऐसे दुर्गुण को हमारे जीवन से दूर करने के लिए हमें शक्ति चाहिए। यह शक्ति माता अम्बे की उपासना से हमें मिलती है।
माता हमें हर तरह के दुर्गुण से दूर रखती है। उपासना में मंत्र जाप, प्राथना और माता की आरती की जाती है।
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जय अम्बे गौरी