Ganga Maiya Ki Aarti – गंगा मैया आरती

हरिद्वार याने हरी के द्वार में होने वाली गंगा आरती देश विशे में प्रचलित है। हरी याने भगवान जो सबका दुःख हारता है। द्वार याने दरवाजा भगवन के पास जाने का रास्ता, याने हरिद्वार। हरिद्वार की पवन भूमि पर गंगा मैया की आरती (Ganga Maiya ki aarti) हर रोज होती है।

जग विख्यात गंगा मैया आरती

हरिद्वार हमारे देश में हिन्दू धर्म के अनुशार सात पवित्र स्थानों में से एक है। जहा गंगा आरती होती है, इसी विश्व प्रसिद्ध जगह पर कुम्भ का मेला लगता है।

जब साम के वक्त ये आरती होती है तब नजारा देखने लायक होता है।

चमकते हुए दियो का प्रतिबिम्ब पानी में दीखता है, तो मन को मोहित कर देता है।

घण्टीओ की रणकार वातावरण को भक्तिमय बानाता है।

माता गंगा की महाआरती की सुन्दर आवाज पुरे घाट में सुनाई देती है।

हरिद्वार की जगविख्यात गंगा आरती का लाभ लेने के लिए देश – विदेश से पर्यटक एवं श्रद्धालु आते है।

माता गंगा की पवित्र लहेरो के सामने पुंजरियो द्वारा बड़े बड़े दियो से की जाने वाली आरती हर किसीको मंत्र मुग्ध कर देती है।

गंगा आरती – Ganga Aarti

Ganga Maiya Ki Aarti

 

गंगा मैया आरती – Ganga Maiya Ki Aarti

हर हर गंगे, जय माँ गंगे

ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मन वांछित फल पाता।।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, जल निर्मल आता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

एक बार जो प्राणी शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर, परम गति पाता।।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

आरती मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता।।
सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

 

गंगा आरती कहा होती है ?

पहले गंगा आरती का आयोजन हरिद्वार के गंगा तट पर होता था। पर समय चलते इस आरती का आयोजन कही जगह के गंगा तट पर होने लगा है।

जैसे हरिद्वार में गंगा आरती होती है, वैसे ही 1991 में काशी में शरुआत हुई। काशी के दशाश्वमेघ घाट पर गंगा आरती का आयोजन होता है।

समय के चलते यह आरती का आयोजन वाराणसी, चित्रकूट और प्रयाग राज में भी गंगा पर भी होता है।

 

गंगा मैया आरती महत्व 

गंगा मैया का उदगम स्थान भगवान शिव की जाता है। गंगा नदी श्रेष्ठ और परिवत्र माना जाता है। हिन्दुधर्म और पुराणों के अनुशार गंगा में स्नान करने से इंसान पवित्र हो जाता है। जीवन के सभी पाप धूल जाते है। गंगा स्नान करने के लिए हज़ारो लोग जाते है। और गंगा स्नान में गंगा आरती का विशेष महत्व है।

माता गंगा की आरती बेहत भव्य और दर्शनीय होती है। गंगा आरती के दौरान शंख नाड और घंट नाड नकारात्मक ऊर्जा को दूर करदेती है । और वातावरण भक्ति मई बना देती है।  गंगा आरती विश्व के सुन्दर धार्मिक समारोह में से एक है।

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गंगा आरती में कैसे हिस्सा ले सकते है 

यदि हम गंगा आरती में हिस्सा लेना चाहते है तो, हमें उस घाट पे संध्या काल से पहले पहुंचना होता है। हरिद्वार के गंगा घाट में पगथिया बनाया है। हम वहां बेथ कर इसका लुप्त ले सकते है।

यदि हम आरती में हिस्सा लेना चाहते है तो हमें वहां के ब्राह्मण को या संस्था से बात करके हमें आरती का लाभ भी मिल सकता है। इसके लिए हमें कुछ दक्षिणा ब्राह्मण को देना पड़ता है। जो हमें पूर्ण आरती तैयार करके देते है। ये आनंद भी अद्भुत है, गंगा मैया की आरती ( Ganga Maiya Ki Aarti) एक बार जरूर करना चाहिए।

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