Hanuman Chalisa Hindi – श्री हनुमान चालीसा

भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म में हनुमान जी का नाम सबके हदय में रहता है। कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो हनुमानजी के चरित्र से अपरिचित होगा। एक उत्तम भक्त कैसा होना चाहिए ये हनुमानजी की राम भक्ति से विदित होता है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान श्री राम की सेवा में लगा दिया था। यहाँ हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa Hindi) हिंदी में वर्णन है।

हनुमान चालीसा का पाठ हनुमानजी के भक्तो की श्रद्धा बढ़ाता है। विश्वमे सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले पाठ में हनुमान चालीसा का नाम है। हनुमान जी के लाखो करोडो भक्त नित्य इसका पठन करते है।

हनुमान चालीसा एक ऐसी अद्भुत रखना है जो भक्त को भगवान से जोड़ती है। विकत परिस्थितियों में हमें रास्ता प्रदान करती है। संकट मोचन हमारे संकट दूर करते है।

भगवान श्री राम ने हनुमानजी को धरती के अंत तक पृथ्वी पर ही रहने का वरदान दिया है। इसीलिए कहा जाता है की हनुमानजी आज भी पृथ्वी पे मौजूद है। जहा रामकथा का आयोजन होता है वहां निश्चित रूप से पवन पुत्र हाजिर होते है।

 

श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa Hindi)

 

Hanuman Chalisa in Hindi

 

दोहा

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनउ रघुवर बिमल जसु जो दायकु फल चारी।।

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरो पवन कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।।

 

हनुमान चालीसा चोपाई

 

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहु लोक उजागर।

रामदूत अतुलित बल धामा, अंजनी पुत्र पवनसुत नामा।।

 

महाबीर बिक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।

कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुंडल कुंचित केसा।।

 

हाथ बज्र और धजा बिराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजे।

संकर सुवन केसरीनंदन, तेज प्रताप महाजग बंदन।।

 

विद्या वान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर।

प्रभु चरित्र सुनबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया।।

 

सूक्ष्म रूप धरी सियहि दिखावा।, विकत रूप धरी लंक जलावा।

भीम रूप धरी असुर संहारे, राम चंद्र के काज सवारे।।

 

लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुबीर हरषि उर लाये।

रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

 

सहस बदन तुम्हरो जस गावे, अस कहि श्री पति कंठ लगावे।

सनका दिक् ब्रह्मादि मुनीशा, नारद सारद सहित अहिसा।।

 

जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोविद कहि सके कहा ते।

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

 

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

 

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लाँधि गये अचरज नाही।

दुर्गम काम जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते।।

 

राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे।

सब सुख लहे तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना।।

 

अपने तेज सहरो आपे, तीनो लोक हांक ते कांपे।

भूत पिचास निकट नहीं आवे, महाबीर जब नाम सुनावे।।

 

नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।

संकट तें हनुमान छुडावे, मन क्रम बचन ध्यान जो लावे।।

 

सब पर राम तपस्वी राजा, तीन के काल सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावे, सोइ अमित जीवन फल पावे।।

 

चारो जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा।

साधु संत के तुम रखवाले, असुर निकंदन राम दुलारे।।

 

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, सर बर दीन जानकी माता।

राम रसायन तुम्हारे पासा, सदा रहो रघु पति के दासा।।

 

तुम्हारे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुःख बिसरावे।

अंतकाल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरी भक्त कहाई।।

 

और देवता चित ना धरई , हनुमत सेई सर्ब सुख करई।

संकट कटे मिटे सब पीड़ा, जो सुमिरे हनुमत बलवीरा।।

 

जै जै जै हनुमान गोसाई, कृपा करहु गुरुदेव की नाई।

जो सत बार पाठ करे कोई, छूटहि बंदी महासुख होई।।

 

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होइ सिद्धि सांखी गौरीसा।

तुलसीदास सदा हरी चेरा, कीजे नाथ हदय महं डेरा।।

 

दोहा

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हदय बसहु सुर भूप।।

सिया वर राम चंद्र की जय – पवनसुत हनुमानकी जय

 

 

  श्री हनुमान चालीसा से लाभ ( Benifit Hanuman Chalisa Hindi)

कहते है की तुलसीदास जी हनुमानजी के परम भक्त थे। चालीसा में जो वर्णन किया है वो उनका अपना अनुभव है। इसके श्रावण से भक्त का भगवान के पास जाने का रास्ता तुलसीदासजी ने सरल कर दिया। हनुमान चालीसा के अद्भुत और अगणित लाभ है ।

जो मनुष्य मन, कर्म वचन और ध्यान से एकचित होक चालीसा का पठन या श्रवण करता है। उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। निचे हनुमान चासीला से होने वाले लाभ का वर्णन है, यह तुलसीदास जी ने लिखे हनुमान चालीसा के आधार पे है।

 

  •  पवन पुत्र हनुमान बलशाली है। शक्ति शाली है। हनुमान चालीसा से नकारात्मक्ता दूर हो जाती है। भुत प्रेत जैसी आत्मा हमारे नजदीक नहीं आती है। भुत पिचास निकट नहीं आवे महाबीर जब नाम सुनावे। बुरी आत्मा हमेशा हनुमानजी से दूर रहती है। यदि हमें बुरे विचार या सपने आते है, यदि हम कोई प्रेतात्मा से परेशान है तो, उन्हें जरूर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

 

  • महाबली हनुमान बल और बुद्धि के देवता है। अक्षर हम अखाड़े और कसरत खंड में हनुमानजी की तस्वीर देखते है। उनके आशीर्वाद से लोग अपने क्षेत्र में आगे बढ़ते है। हनुमान चालीसा से बल और बुद्धि प्रदान होती है।

 

श्री हनुमान चालीसा के पठन एवं श्रवण से आत्मविश्वास बढ़ता है। 

 

  • पवन पुत्र, हनुमान के प्रति आस्था बढ़ती है। कही ऐसे उदहारण है जो महाबली का स्मरण करके आत्मविश्वास से काम करते है।

 

  •  तन मन धन से किये गए अच्छे कामो में सफलता मिलती है। हमारे जीवन के कही काम रुक जाते है। अटक जाते है। महावीर के नाम का स्मरण से हनुमान चालीसा के पठन से सभी काम हो जाते है।

 

  •  हनुमान चालीसा एक चित्त से पढ़ने से एकाग्रता बढ़ती है। हमारी याद शक्ति अच्छी होती है। इसके पठन और श्रवण से मन को शांति मिलती है। हमें किसी बात का डर लगता हो, भय लगता हो तब हनुमान चालीसा के पठन से भय मुक्त हो सकते है।

 

  • सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पठन किया जाये तो हर रोग दूर होते है। भक्त के हर दुःख दूर हो जाते है।नकारात्मकता दूर होती है। सकारात्मकता का संचार होता है। और नियमित रूप से  पूरी श्रद्धा से चालीसा का पाठ किया जाये तो सबकी मनोकामना पूर्ण होती है।

 

नासे रोग हरे सब पीड़ा जपत निरंतर हनुमान वीरा

 

  • कहते है, मनुष्य जीवन का मुख्य लक्ष्य मोक्ष है। हनुमान चलिशा के नित्य श्रवण अथवा पठन से मानव जीवन से मुक्ति मिलती है। मनुष्य को परम धाम में जगह मिलती है।

 

  • हनुमानजी अष्टसिद्धि नव निधि के दाता है। याने जो मनुष्य नियमित रूप से चालीसा का पठन करता है। वह सर्वे  सुखो से संपन्न होता है।

 

  • मनुष्य के जीवन में ग्रहो का काफी प्रभाव है। सुख और दुःख से भरा मानव जीवन काफी समस्या ओ से भरा रहता है। श्री हनुमान चालीसा से राहु जैसे गृह का कभी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।

 

  • किसी के भी जीवन में शनिदेव का प्रकोप प्रलय ला सकता है। पर जो हनुमानजी का भक्त है, हनुमान चहलीसा पढता है उसे शनि महाराज की साढ़ेसाती का सामना नहीं करना पड़ता। कहा जाता है की हनुमानजी जी ने एक बार शनि महाराज की मदद की थी। वहां शनि महाराज ने वरदान दिया था की वो हनुमान भक्त को परेशान नहीं होने देंगे।

 

  हनुमानजी को संकट मोचन कहा जाता है।

 

  • याने संकट को दूर करने वाला। इंसान पे कोई भी संकट आता है तो उस संकट को हनुमानजी दूर कर देते है।

 

  • रात के समय में पूरी श्रद्धा से हनुमान चालीसा का पाठ करने से हमारे पापो का नाश होता है। जीवन में कही बार चाहे अनचाहे हमसे गलत काम हो जाता है। इस गलत कामो के प्रायश्चित के लिए सच्चे मनसे चालीसा किया जाये तो पापो से मुक्ति मिलती है।

 

  • कष्ट भंजन – हनुमानजी को कष्ट भंजन देव के रूप में भी जाना जाता है। हमने रामायण में भी देखा है। जब जब श्री राम पे विपत्ति आयी हनुमान ने ही उसमे से बहार निकाला है। यानि हम कोई कष्ट में हो, हम कोई संकट में हो तब संकट मोचन हनुमानजी के चालीसा से सारे कष्ट दूर हो जाते है।

 

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होइ सी सिद्धि सांखी गौरीसा।  यहाँ तुलसीदास जी कहते है की हनुमान चालीसा पढ़ने सिद्धि मिलती है। और यह बात के लिए के लिए गौरी पति शिव को शाक्षी रहके कही है।

 

हनुमान चालीसा किसने लिखा ? रचयिता कोन है ?

हनुमान चालीसा लिखने की कहानी भी अद्भुत है। महाकवि गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की थी।

ये बात सन 1500 मी सदी की है। तुलसीदास का जन्म सन 1532 हुआ था। उस समय हमारे देश में मुग़ल साम्राज्य चल रहा था। अकबर का शासन था।

गोस्वामी तुलसीदास की छबि एक परम वंदनीय व्यक्ति की थी। उनको अकबर के दरबार में बुलाया गया।

कोई स्त्री उनके चरण स्पर्श करती है। साहजिक आशीर्वचन निकल ते है की सौभाग्यवती भव। आशीर्वाद देने के बाद उनको पता चलता है की ये स्त्री के पति का देहांत हुआ है।

तुलसीदास जी निश्चिंत होके सबको कहते है की श्री राम के  नाम का रतन करो। भगवान श्री राम के नाम लेने से एक निष्प्राण शरीर में प्राण पूर्ति होती है।  और ये बात पूरी इलाके में फ़ैल जाती है।

बादशाह अकबर के कानो तक ये बात पहुँचती है। तो तुलसीदास जी को अकबर के दरबार में बुलाया जाता है।

 

तुलसीदास अकबर की बातचीत

अकबर इस तुलसीदास की परीक्षा लेना चाहता था। उन्होंने तुलसीदास को कहा की आप बड़े चमत्कार करते है। आप का कोई चमत्कार हमें भी दिखाओ।

तुलसीदास कहते है की में चमत्कारी नहीं हु। में सिर्फ भगवान श्री राम का भक्त हु। तब अकबर कहता है, तो ठीक है हमें आपके भगवान दिखाओ।

तब तुलसीदास का जवाब था की… भगवान सिर्फ भक्तो को दर्शन देते है।

ये सुनकर बादशाह अकबर ग़ुस्से हो जाते है। और तुलसीदास को कारावास में बंद कर दिया जाता है।

 

हनुमान चालीसा की रचना

कवी तुलसी दास तुलसीदास संकट में थे। भगवान श्री राम और संकट मोचन हनुमान को याद करते थे। उस कारावास में बेथ के ही उन्होंने हनुमान चालीसा की रचना की।

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की रचना चालीस चोपाई से बनीं है। जब तुलसीदास जी ने ये चालीसा पूण किया तब एक चमत्कारिक घटना हुई।

बहुत सारे बंदर एकठ्ठे हो गये। और राज दरबार में आतंक मचाने लगे। अकबर की सेना एवं मंत्री भी परेशान हो गये।

अकबर और उनके मंत्री परिस्थिति को समज गये। एक भक्ति की शक्ति को समझने में उन्होंने देर नहीं की। और तुरंत एक मंत्री की सलाह से तुलसीदास जी को रिहा कर दिया गया। और तुलसीदास जी से क्षमा की याचना की।

आज ये हनुमान चालीसा सनातन धर्म को मानने वाले हरेक व्यक्ति के घरमे है। पूरी श्रद्धा और भावपूर्ण तरीके से उनका पठन किया जाता है। इसमें तुलसीदास जी के अप्रतिम विश्वास की झलक दिखती है।

 

संकट मोचन, पवन पुत्र, महाबली, बजरंग बलि हनुमान की जय।

 

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हनुमान चालीसा कब करना चाहिए ?

हनुमान चालीसा पठन का उत्तम समय सुबह सूर्योदय और साम सूर्यास्त का है। पर हनुमान को संकट हरण कहा जाता है। इसीलिए हम मुश्केली में किसी भी समय हनुमान चालीसा का पठन कर सकते है। 

सच्चे मन और पवित्र हदय से किया गया हनुमान चालीसा का पाठ हमें हर मुशीबत से बहार निकालता है। यहाँ हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa Hindi) में सपूर्ण माहिती के साथ दिया गया है। आशा है ये आप को जरूर मददगार होगा।

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