हनुमानजी की आरती (Hanumanji ki aarti) हरएक हनुमान मंदिर में सुबह शाम होती है। हनुमानजी को भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। कलियुग से सभी दुखो को हरने वाले हनुमानजी भगवान शंकर के 11 अवतार कहे जाते है।
श्री हनुमान लाला की आरती के आलावा, हनुमान चालीसा एवं सुन्दर कांड बहुत प्रचलित रचनाये है। भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने हेतु उसकी आराधना करते है। इसमें लयबद्ध तरीके से आरती का पठन किया जाता है।
मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति पे तेल और सिंदूर चढ़ाया जाता है। हनुमान चालीसा एवं सुन्दर कांड का पाथ किया जाता है। इसके बाद आरती होती है। बजरंगबलि हनुमानजी भक्तो के सभी कष्टों को दूर करते है। सच्चे मनसे की गयी आराधना से सभी संकट दूर होते है।
पवन पुत्र हनुमान जी की आरती – (Hanumanji ki Aarti in Hindi)
श्री हनुमान स्तुति
मनोजवं मारुत तुल्य वेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम।
वातत्मजं वानरयूथ मुख्यं, श्री राम दूतं शरणम प्रपद्धे।।
हनुमान लला की आरती
आरती कीजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनी पुत्र महा बलदाई, संतान के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजे हनुमान लला की।
दे वीरा रघुनाथ पठाए, लंका जारी सिया सुधि लाये।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई।।
आरती कीजे हनुमान लला की।
लंका जारी असुर संहारे, सिया राम जी के काज सँवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, लाये संजीवन प्राण उबारे।।
आरती कीजे हनुमान लला की।
पैठि पताल तोरी जमकारे, अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाई भुजा असुर दल मारे , दाहिने भुजा संतजन तारे।।
आरती कीजे हनुमान लला की।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई।।
आरती कीजे हनुमान लला की।
जो हनुमान जी की आरती गावे, बहसि वैकुंठ परम पद पावै।
लंक विध्वंस किये रघुराई, तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।।
आरती कीजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
हनुमानजी की आरती कैसे करे
हिन्दू धर्म में आरती और पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। आरती हरेक देवी देवता के समीप जाने का द्वार है। पर पूजा पद्धति और आरती के विशेष विधि होती है। इसे पवित्रता से किया जाता है। भगवान हनुमानजी की आरती में कुआ विशेष ध्यान रखना है, यह निचे दर्शाया गया है।
1- आरती और पूजा पाठ से पहले तन मन से पवित्र रहना है।
2-aarti करने से पहले बजरंग बलि का पूजन किया जाता है।
3- आरती की थाली में पांच मुखी दिया हो तो, उत्तम है ।
4- आरती की थाली में फूल और कुमकुम होना आवश्यक है ।
5- आरती की थाली में कपूर होना जरुरी है। जिसे अंत में प्रगटाया जाता है ।
6- दिया घी से प्रगटाया जाता है ।
7- आरती को क्लॉक वाइज दिशामे घुमाना चाहिए।
8- आरती के दौरान प्रसाद में फल और मिठाई भी रख सकते है।
9- सम्पूर्ण भक्ति भाव पूर्वक की गयी हनुमानजी की आरती (Hanumanji ki aarti) सभी मनोकानमा पूर्ण करती है।
10- आरती के बाद पहले भगवान को आरती दी जाती है, बादमे उपस्थित सभी लोगो को आरती देनी चाहिए।
भगवान पशुपतिनाथ का व्रत एवं महिमा
रामभक्त हनुमानजी अपनी प्रभु भक्ति के लिए जाने जाते है। उनकी निश्वार्थ भक्ति से भगवान राम और सीता जी प्रसन्न हुए थे।
माता सीता जी हनुमानजी को अपना पुत्र समझते थे। वही भगवान राम ने वरदान दिया था की जब तक पृथ्वी रहेगी आप धरती पर लोगो के कल्याण हेतु रहोगे माना जाता है की आज बह जहा रामकथा का कथन होता है वहां निश्चित हनुमानजी हाजिर होते है।
बल बुध्दि के दाता हनुमानजी हिन्दू धर्म में पूंजनीय भगवान है। धर्म और ज्ञान का समन्वय वाला सनातन हिन्दू धर्म में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो हनुमान भक्ति से दूर रहा हो।