विग्नहर्ता श्री गणेश जी की आरती (Jay Ganesh Jay Ganesh Deva) सबसे प्रचलित है। वैसे भगवन गणेश की आरती मंदिर में हररोज की जाती है। कथा अर्चना पूंजन या किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले गणेश जी का पूंजन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश की जन्मतिथि के रूप में मनाया जाता है। इसे गणेश चतुर्थी भी कहते है।
ध्यान एवं एकचित से की गयी आरती हमें शांति प्रदान करती है। किसी भी देवी देवता की आरती हमें आध्यात्मिकता की तरफ ले जाती है।
भगवान गणेश को विग्नहर्ता कहा जाता है। गजानन हमारे विग्नो को दूर करते है। किसी भी कार्य करने से पहले हम गजानन गणपति को याद करते है तो हमारा काम निर्विग्न पूर्ण होता है।
गणेश चतुर्थी के उत्सव में हर रोज आरती का गान होता है। इसमें Jay Ganesh Jay Ganesh Deva आरती रोज सुबह शाम गायी जाती है। यह सम्पूर्ण आरती निचे दी गयी है।
श्री गणेशाय नमः – Jay Ganesh Jay Ganesh Deva
श्री गणेशजी की आरती – Shree Ganesh Bhgavan ki Aarti
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महा देवा।।
एकदन्त दयावन्त चारभुजा धारी।
माथे पे तिलक सोहे मूसे की सवारी।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
अंधे को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बाजन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
सूर’ श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
श्री गणेश जी की आरती एवं पूंजा से लाभ
भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश की पूंजन अर्चना से मनुष्य को बहुत लाभ मिलता है।
भगवान गणेश की आरती एवं आराधना से हमारी विपत्तिया दूर करते है।
सुख समृद्धि एवं शांति की प्राप्ति होती है।
भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है यदि हम नित्य उनकी आराधना करते है तो हमारी बुद्धि तीक्ष्ण होती है और भाग्योदय बढ़ता है।
लम्बोदर भगवान गणेश की पूजा अर्चना से सहन शक्ति बढ़ती है। मनुष्य के ज्ञान में वृद्धि होती है।
विग्नहर्ता को याद करके किया गया कोई भी काम में निर्विग्न पूर्ण होता है। शुभ कार्य में कोई विपत्ति नहीं आती है।
जय श्री गणेश