सनातन वैदिक संस्कृतिमे धन, वैभव को लक्ष्मी माना जाता है। माता लक्ष्मी की कृपा से हमारा जीवन धन, धान्य से भरपूर रहता है। माता लक्ष्मी का आशीर्वाद हम पे बना रहे इसीलिए हमें नित्य लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए। यहाँ हम लक्ष्मी चालीसा से क्या लाभ होते है, (Lakshmi Chalisa Se Labh) को समझते है।
भगवान श्री नारायण की धर्मपत्नी महालक्ष्मी सिर्फ एक शक्ति नहीं है। माँ रूप एक महाशक्ति का है, इसीलिए उन्हें महालक्ष्मी कहा जाता है।
मनुष्य जीवन में माता लक्ष्मी की कृपा बनाये रखना अति आवश्यक है। हमारे जीवन के लिए लक्ष्मी सबकुछ नहीं है, पर बिना लक्ष्मी के जीवन निर्वाह संभव भी नहीं है।
हमारे जीवन में समृद्धि और आर्थिक मजबूती के लिए हमें धन, दौलत चाहिए। आर्थिक समृद्धि मनुष्य जीवन और उसके परिवार को खुशियों से भर देता है।
माता लक्ष्मी की आराधना
हमारे जीवन में माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बानी रहे इसीलिए हमें नित्य महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। लक्ष्मी जी का पूजन अर्चन करना चाहिए।
माता लक्ष्मी की आराधना के लिए माता लक्ष्मी के मंत्र, स्त्रोत्र, माता लक्ष्मी की आरती, चालीसा एवं महालक्ष्मी का व्रत करना चाहिए।
यदि हम नित्य नियमित रूप से माता लक्ष्मी का पूजन करते है तो दरिद्रता कभी हमारे द्वार नहीं आती। हमारे जीवन में कभी लक्ष्मी की कमी नहीं होती।
माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बानी रहे इसीलिए हमें निस्वार्थ और स्वच्छ मन से निर्वाह करना जरुरी है। माता लक्ष्मी को स्वछता पसंद है, हमारा मन भी स्वच्छ होना चाहिए और हमारा घर भी स्वच्छ होना चाहिए।
लक्ष्मी चालीसा का पाठ कैसे करे ? – Lakshmi Chalisa se Labh
माता लक्ष्मी के चालीसा के पाठ हम सुबह – साम कभी भी कर सकते है।
1 – तनमन से शुद्ध होकर हमें लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना चाहिए।
2 – स्वच्छ और साफ सुथरे कपडे पहने।
3 – हमारे घर के पूजा स्थल पर या महालक्ष्मी के मदिर में हम ये पाठ कर सकते है।
4 – स्वछता लक्ष्मी जी को पसंद है, इसीलिए वह जगह स्वच्छ होना चाहिए।
5 – चालीसा पढ़ने से पहले दीपक धुप बत्ती जरूर जलाये। फूल चन्दन चढ़ाये अपने मन को एकाग्र करे.
6 – विशेष फल प्राप्ति के लिए दान पुण्य अवश्य करे। इससे माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
लक्ष्मी चालीसा से लाभ – Benefit of Mahalakshmi Chalisa
महालक्ष्मी जी के चालीसा से अनेक लाभ होते है। Lakshmi Chalisa se Labh का वर्णन निचे किया गया है।
1 – विष्णुपत्नी माता लक्ष्मी के चालीसा पठन और नित्य उपासना हमें निर्धन नहीं होने देती। दरिद्रता हम से दूर रहती है। जीवन धन वैभव से भरा हुआ रहता है।
2 – माता लक्ष्मी चालीसा का पाठ एवं लक्ष्मी जी का व्रत करने से हमारे व्यापर, धंधा रोजगार में उन्नति होती है।
3 – लक्ष्मी चालीसा से शुक्र ग्रह की कृपा बनी रहती है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है। इसी दिन वैभवलक्ष्मी का व्रत किया जाता है।
4 – माता लक्ष्मी चालीसा पठन से घरमे सुख और शांति की अनुभूति होती है। घर का वातावरण आनंदमय हो जाता है।
5 – समुद्र मंथन से निकली हुई माता लक्ष्मी का चालीसा पठन विशेष महत्व पूर्ण है क्युकी, ये हमारे दुर्भाग्य को दूर करता है।
Lakshmi Chalisa se Labh
श्री महालक्ष्मी चालीसा
दोहा
मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हदय में वास।
मनो कामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस।
सोरठ
यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनंती करुं।
सबविधि करो सुवास, जय जननी जगबंबिका
लक्ष्मी चालीसा चोपाई
सिन्धु सुता मैं सुमिरो तोहि, ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि।
तुम समान नहीं कोई उपकारी, सबविधि पुरवहु आस हमारी।
जय जय जगत जननी जगदम्बा, सबकी तुम्ही हो अवलम्बा।।
तुम ही हो सब घट घट वासी, विनती यही हमारी खासी।
जग जननी जय सिंधु कुमारी, दिनन की तुम हो हितकारी।।
विनवों नित्य तुम्ही महारानी,कृपा करो जग जननी भवानी।
केहि विधि स्तुति करो तिहारी, सुधि लीजै अपराध बिसारी।।
कृपा दृष्टि चित ववो मम ओरी, जग जननी विनती सुन मोरी।
ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता, संकट हरो हमारी माता।।
क्षीरसिंधु जब विष्णु मथायो, चौदह रत्न सिन्धु में पायो।
चौदह रत्न में तुम सुखरासी,सेवा कियो प्रभु बनी दासी।।
जब जब जन्म जहा प्रभु लीन्हा, रुप बदल तहं सेवा कीन्हा।
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा, लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा।।
तब तुम प्रगत जनकपुरी माहिं, सेवा कियो हदय पुलकाहीं।
अपनाया तोहि अंतर्यामी, विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी।।
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी, कहं लो महिमा कहौं बखानी।
मन क्रम वचन करे सेवकाई, मन इच्छित वांछित फल पाई।।
तजि छल कपट और चतुराई, पूजहिं विविध भांति मनलाई।
और हाल मैं कहों बुझाई, जो यह पाठ करें मन लाई।।
ताको कोई कष्ट नोई, मन इच्छित पावै फल सोई।
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणी, त्रिविध ताप भय बंधन हारिणी।।
जो चालीसा पढ़े पढ़ावै, ध्यान लगाकर सुने सुनावै।
ताकौ कोई न रोग सतावै, पुत्र आदि धन सम्पति पावै।।
पुत्रहिन् अरु सम्पति हिना, अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना।
विप्रा बोलाई के पाठ करावै, शंका दिलमे कभी न लावे।।
पाठ करावै दिन चालीसा, ता पर कृपा करे गौरीसा।
सुख सम्पति बहुत सी पावै, कमी नहीं काहू की आवै।।
बारह मास करें जो पूजा, तेहि सम धन्य और नहीं दूजा।
प्रतिदिन पाठ मन माहि, उन सम कोई जग में कहु नाहीं।।
बहु विधि क्या मैं कारों बड़ाई, लेय परीक्षा ध्यान लगाई।
करि विश्वास करे व्रत नेमा, होय सिद्ध उपजे उर प्रेमा।।
जय जय जय लक्ष्मी भवानी, सब में व्यापित हो गुण खानी।
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहिं, तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं।।
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै, संकट काटी भक्ति मोहि दीजै।
भूल चूक करि क्षमा हमारी, दर्शन दजै दशा निहारी।।
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी, तुम्ही अछत दुःख सहते भारी।
नहीं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में, सब जानत हो अपने मनमे।।
रूप चतुर्भुज करके धारण, कष्ट मोर अब करहु निवारण।
केही प्रकार मैं करो बड़ाई, ज्ञान बुद्धि मोहि नहीं अधिकाई।।
दोहा
त्राहि त्राहि दुःख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश।।
रामदास धरी ध्यान नित, विनय करत कर जोर।
मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर।।
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यहाँ माता लक्ष्मी के चालीसा एवं लक्ष्मी चालीसा से होने वाले लाभ (Lakshmi Chalisa se Labh) का वर्णन है। आशा सबको पसंद आएगा। विष्णु पत्नी माता लक्ष्मी की कृपा सब पे बानी रहे यही शुभकामनाये।