धन और वैभव की देवी महालक्ष्मी माँ परम कृपालु है। भक्त जन प्रेम और भाव से पुंजा अर्चना करते है। प्रातः काल एवं सायं काल में माताजी की आरती ( Lakshmi mata ji ki Aarti ) की जाती है।
माता वैभव लक्ष्मी का व्रत बहुत प्रचलित है। लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु माता वैभव लक्ष्मी का व्रत करते है। व्रत में कथा के अंत में यह माता लक्ष्मी जी की आरती गायी जाती है।
माता महालक्ष्मी जगत का कल्याण करती है। सुख समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाली माता लक्ष्मी भगवान विष्णु जी की पत्नी है। सनातन धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली में माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
लक्ष्मी जी की आरती – lakshmi mata ji ki Aarti
माता महालक्ष्मी जी की आरती से पहले यह श्लोक बोले।
लक्ष्मी जी का श्लोक – मंत्र
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भावनेश्व लक्ष्मी:
पापत्मनां कृतधियां हदयेषु बुद्धि।
श्रद्धा सत्ता कुलजनप्रभवस्य लज्जा
ता त्वां नताः स्म परिपालय देवी विश्वम।।
लक्ष्मी जी के श्लोक का हिंदी अर्थ
जो पुण्यकरने वाले आत्माओ के घरमे स्वयं ही लक्ष्मी के रूप से, पापीओ के घर दरिद्रता से, निष्पाप शुद्ध अंतःकरण वाले मनुष्य में बुद्धि रूप से, साधु (सत)पुरुषो में श्राद्ध के रूप से तथा शांत मनुष्य में लज्जा के रूप में निवास करती है। ऐसी देवी महालक्ष्मी को हम प्रणाम करते है। है माता आप सम्पूर्ण विश्व को सुख प्रदान कीजिये।
कैसे करे वैभव लक्ष्मी की आरती
महालक्ष्मी माता की आरती पूर्ण श्रद्धा एवं एक चित से होनी चाहिए। एक थाली में पांच दीपक जलाये। दीपक जलाने के लिए घी का ही इस्तेमाल करे। आरती में कप्पोर जरूर रखे। आरती ले बध्ध तरीके से अच्छे स्वरों में सुर के साथ गायी जानी चाहिए। यदि बजाने लायक कोई यन्त्र है तो आरती के समय जरूर बजाये।
लक्ष्मी जी की आरती- Lakshmi ji ki Aarti
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत
सेवत हरी विष्णु विधाता, ॐ जय लक्ष्मी माता (2)
उमा,रमा,ब्राह्मणी तुम ही जग-माता।
सूर्य -चंद्रमाँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता (2)
दुर्गा रूप निरंजनी सुख सम्पति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत रिद्धि सिद्धि धन पाता।
ॐ जय लक्ष्मी माता (2)
तुम पालन-निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म -प्रभाव -प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता (2)
जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता मन नहीं घबराता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता (2)
तुन बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान -पान का वैभव, सब तुमसे आता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता (2)
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि -जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता (2)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत,मैया जी को निशदिन सेवत ।।
हरी विष्णु विधाता ॐ जय लक्ष्मी माता (2)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
माता लक्ष्मी सबको सुख शांति एवं समृद्धि प्रदान करें। माता लक्ष्मी की आरती (Lakshmi mata ji ki Aarti) हम प्रतिदिन करे। जीसे धन और ज्ञान की देवी माता लक्ष्मी की कृपा हम सब पर बनी रहे। और सबकी दरिद्रता दूर करे। जय महालक्ष्मी माता।
महालक्ष्मी माता की आरती से लाभ
माता लक्ष्मी धन और वैभव की देवी है। नित्य निरंतर पूजन और आरती से मनुष्य को अनेक लाभ होता है। मनुष्य को जीवन निर्वाह के लिए धन की आवश्यकता होती है। माता लक्ष्मी अपने भक्त पर प्रसन्न होती है तो, जीवन में धन की वर्षा होती है। माता लक्ष्मी भक्तो के भंडार कभी कम नहीं होने देती।
माता की आरती (lakshmi mata ji ki Aarti) जीवन में सुख समृद्धि और वैभव बढ़ता है। व्यक्ति की ख्याति बढ़ती है। परिवार सदा खुश रहता है। धन के कारन आने वाली मुश्केलियो का कभी सामना नहीं करना पड़ता।