मधुराष्टकं में भागवान श्याम सुन्दर का अद्भुत वर्णन किया गया। भागवान श्री कृष्ण के लिए भजन, स्तुति, स्तोत्र, की रचना बहुत है। पर मधुराष्टकं (Madhurashtakam) की रचना मन को प्रफुल्लित कर देती है।
मधुराष्टकं स्तोत्र – Madhurashtakam Stotra
मधुराष्टकम् में भगवान श्रीकृष्ण के रुप का वर्णन है। है बाल स्वरुप भगवान प्रत्येक अंग, प्रत्येक क्रिया उनका वर्तन बहोत ही अच्छी तरीके वर्णन है।
भगवान श्रीकृष्ण के भक्त महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी ने मधुराष्टकं की रचना की थी।
ये मधुराष्टकं में धर्म और ज्ञान तो दीखता है। ये खुद में इतना मधुर है की उसे सुनते ही हमारे आँखों के सामने भगवान श्री कृष्ण की छबि आ जाती है।
मधुराष्टकं – अधरं मधुरं
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं संख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गीतं मधुरं पितं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गुज्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा विचि मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दष्टं मधुरं सुष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
Madhurashtakam With Hindi Meaning – मधुराष्टकम् हिंदी मीनिंग के साथ
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
मधुराधिपते श्री कृष्ण भगवान का सब कुछ मधुर है। उनके होंठ मधुर है। मुख मधुर है, नेत्र मधुर है, हास्य मधुर है, हदय मधुर है और उनकी चाल भी मधुर है।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
भगवान श्री कृष्ण का सब कुछ मधुर है। उनका वचन( बोलना) मधुर है। चरित्र मधुर है, वस्त्र मधुर है, वलय मधुर है, चाल मधुर है और भ्रमण करना ( घूमना ) भी मधुर है। मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण आपका सबकुछ मधुर है।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं संख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
भगवान श्री कृष्ण की वेणु (बांसुरी) मधुर है। चरणरज मधुर है, उनके हाथ (करकमल ) मधुर है, नृत्य मधुर है, और मित्रता ( सख्य) मधुर है। श्री मधुराधिपति कृष्णा का सब कुछ मधुर है।
गीतं मधुरं पितं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
श्री भगवान श्री कृष्ण का सबकुछ मधुर है। उनके गीत मधुर है, उनके पीताम्बर मधुर है, भोजन मधुर है, शयन मधुर है, उनका रूप मधुर है। और तिलक भी मधुर है।
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण आपका सबकुछ मधुर है। उनका काम मधुर है, दुःखो से उबारना, तारना मधुर है। दुखो का दूर करना, हरण करना मधुर है। उनका रमण मधुर है। उद्धार और शांति भी अति मधुर है।
गुज्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा विचि मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
भगवान श्री कृष्ण की गरदन (गूंजा ) मधुर है। माला मधुर है। यमुना मधुर है, उसकी तरंगे मधुर है, उसका जल मधुर है और कमल भी अति मधुर है। मधुराधिपति का सबकुछ मधुर है।
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दष्टं मधुरं सुष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
भगवान श्री कृष्ण का सबकुछ मधुर है। गोपिया मधुर है, उनकी लीला मधुर है। उनके संयोग मधुर है। वियोग मधुर है, देखना, निरिक्षण करना मधुर है और शिष्टाचार भी अति मधुर है।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
भगवान रघुराधिपते के गोवळ मधुर है, उनकी गाय मधुर है। आपकी छड़ी मधुर है, सृष्टि मधुर है, आपका विनाश करना मधुर है। आपका वर देना, फल देना मधुर है। मधुरता के ईश्वर श्री कृष्ण आपका सबकुछ मधुर है।
मधुराष्टकं से लाभ – Benefit of Madhurashtakam
मधुराष्टकं हमारे मन को मधुर बनाता है। हमारे मन में कोई तनाव, निराशा, भय, शोक की स्थिति है, तो मधुराष्टकं हमें ऐसी स्थिति से बहार निकालता है।
मधुराष्टकम् (Madhurashtakam) हमारे मन को प्रफुल्लित कर देता है।
मधुराष्टकं के पठन और श्रवण से अलौकिक आनंद और सुख की अनुभूति होती है।
सच्चे मन और भक्तिभाव पूर्ण पठन से हमें ईश्वरीय शक्ति के नजदीक पहोचने का अहसाह होता है। कृष्ण भक्ति से जीवन के हर दुःख दूर होते है।
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