नारेश्वर धाम (Nareshwar Dham) कहा है ? नारेश्वर में क्या है ? नारेश्वर का महिमा क्या है ? नारेश्वर कहा से जा सकते है ? मंदिर के दर्शन का समय क्या है ? नारेश्वर में मंदिर के आलावा क्या है ? यदि इनमे से कोई भी प्रश्न आपके दिमाग में है तो आप सही जगह पे है। नारेश्वर धाम की सम्पूर्ण माहिती यहाँ उपलब्ध है। ये जरूर आपके काम आएगी।
नारेश्वर धाम का महत्व – Nareshwar Temple
पूंजय रंग अवधूत महाराज – नरेश्वर का नाथ
नारेश्वर धाम दक्षिण एवं मध्य गुजरत की बॉर्डर पर नर्मदा मैया के तट पर है। नारेश्वर में पूंजय रंग अवधूत महाराज का मंदिर है।
नर्मदा मैया के तट पर पुंजय रंग अवधूत महाराज का विशाल मंदिर है। नारेश्वर धाम में कुल मिलकर 15 से ज्यादा मंदिर है। हरेक मंदिर का अलग महत्व है। नारेश्वर धाम पुंजय रंग अवधूत महाराज की कर्म भूमि है। आज पुंजय रंग अवधूत महाराज के हजारो अनुयायियों है। जो जगह जगह से उनके दर्शन के लिए नारेश्वर में आते है।
पुंजय रंग अवधूत महाराज के भक्तो ने नारेश्वर धाम को इतना विक्षित किया की आज वो गुजरात के बड़े पर्यटक स्थल के रूप में उभर रहा है। रेवा के तट पर अनेक वृक्षों और मंदिरो के कारण वहां का वातावरण मन को आनंदित कर देता है।
नारेश्वर का दृश्य आकर्षक एवं रमणीय है। बड़े बड़े पेड़, पेड़ पे पंखीओ का कलरव, साथ में वानर सेना की मस्ती वातावरण को अहलादक बनाता है।
नारेश्वर में हररोज अनेक श्रद्धालु आते है। मंदिर के पीछे नर्मदा मैया प्रवाह बहता रहता है। श्रद्धालु मंदिर जाने से पहले नर्मदा नदी में स्नान करने जाते है। कहते है की मैया नर्मदा के दर्शन मात्र से हमारे पाप धूल जाते है।
नारेश्वर धाम से जुड़े कुछ सवालों के जवाब
नारेश्वर में किसका मंदिर है ?
नारेश्वर में मुख्य मंदिर पुंजय रंग अवधूत महाराज का है। मुख्य मंदिर के बिलकुल सामने उनकी माताजी रूकाम्बा का मंदिर है।
उस प्रांगण में नर्मदा मैया का मंदिर है। जहा पुंजय रंग अवधूत महाराज आराम करते थे उस जगह का मदिर है। जहा किसी के साथ मुलाकात करते थे उस जगह भी मंदिर है।
पुराणों में जिसका उल्लेख है, ऐसा भगवान भोले नाथ का मंदिर है। जो नारेश्वर महादेव के नाम से प्रचलित है।
कुल मिलाकर नारेश्वर में 15 से ज्यादा मंदिर है।
नारेश्वर कहा से जा सकते है ?
नारेश्वर गुजरात में भरुच और वड़ोदरा के बीचमे नर्मदा मैया के तट पर है। नेशनल हाईवे न 8 से जा सकते है।
अहमदाबाद से नारेश्वर लगभग 175 किलोमीटर है।
सूरत से नारेश्वर लगभग 115 किलोमीटर है।
वड़ोदरा से नारेश्वर का अंतर लगभग 60 किलोमीटर है।
भरुच से नारेश्वर का अंतर लगभग 40 किलोमीटर है।
करजन से नारेश्वर का अंतर 28 किलोमीटर है ।
नारेश्वर में मंदिर दर्शन का टाइम क्या है ? Nareshwar Temple Timing
पुंजय बापजी के दर्शन के लिए आने वाले भक्तो के लिए बहुत बड़ा प्रश्न है। कही बार भक्त दर्शन के लिए आते है और मंदिर बंध होने से बहुत समय का इंतजार करना पड़ता है। इसीलिए हमें मंदिर के दर्शन का समय मालूम होना चाहिए।
नारेश्वर पुंजय बापजी का मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है। 12 बजे मंदिर बंध होता है। वही फिर 2 बजाकर 30 मिनिट पे खुलता है और सैम 7 बजे बढ़ होता है। इस दौरान हम पुंजय अवधूत महाराज के दर्शन कर सकते है।
Nareshwar Temple Timing – 6:00 am to 11:59 am और 2:30 pm to 7:00 pm
नारेश्वर के पुंजय रंग अवधूत महाराज का इतिहास
पुंजय रंग अवधूत महाराज का नाम – पांडुरंग विठ्ठलपंत वालामे था। उनका जन्म 21 नवम्बर 1898 में एक मराठी परिवार में हुआ था। पिता का नाम विथलपंत एवं माता का नाम काशीबाई था। अंग्रेजो के समय में असहकार आंदोलन में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। एक शिक्षक के तोर पे भी अपने जीवन के कुछ साल बिताये थे।
रंग अवधूत महाराज हमेशा भक्ति भाव से पूर्ण रहते थे। समाज के उथ्थान के लिए भी वो एक सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में काम करते थे। सं 1923 में उन्होंने अपना जीवन प्रभु के शरण में शॉप दिया। संसारी जीवन छोड़ के सन्यासी बन गए। और नर्मदा मैया के तट पर अपना ठिकाना बना लिया। पुंजय वासुदेव सरस्वती उनके गुरु थे।
नारेश्वर में पुंजय रंग अवधूत महाराज ने भगवान दत्तात्रेय के पंथ को आगे बढ़ाया। भगवान दत्तात्रेय की आराधना की और अपने भक्तो को जीवन की राह दिखाई। अवधूत महाराज कवी भी थे। उन्होंने कही कविताये और भजन संग्रह लिखा है। इसमें सबसे प्रचलित दत्त बावनी का स्तोत्र है। जिस आज उनका हरेक भक्त पठन करता है।
पुंजय रंग अवधूत महाराज गुजरती, हिंदी, इंग्लिश एवं संस्कृत भाषा के जानकर थे।
पुंजय रंग अवधूत महाराज ने 19 नवंबर 1968 के दिन हरिद्वार में अपना देह त्याग किया था।
नारेश्वर मंदिर का मैन गेट- Nareshwar Temple Main Gate
नारेश्वर मंदिर में जाने से पहले हमें एक सुन्दर दृश्य देखने को मिलता है। वो है मदिर में जाने का मैन गेट। पहली नजर में उसे देखके हमें नहीं लगता ये अंदर जाने का दरवाजा है।
हम निचे की तस्वीर में नारेश्वर मंदिर का मैन गेट देख सकते है। एक बड़ा सा मोर अपनी कला बिखेरता हुआ नजर आता है। मैन गेट पे मोर के इस प्रतिमा को बहेतरीन तरीके से सेट किया है। मोर की एक तरफ से अंदर जाने का रास्ता है और दूसरी तरफ से बहार आने के लिए रास्ता है।
Nareshwar Temple Main Gate- Nareshwar dham
मोर की प्रतिमा और उसके पंख को आबे हुब पेंटिंग किया है। इसे देख के लगता है की ये अभी अपनी जगह से उड़ जायेगा। या अभी अपने टहूके सुनाएगा।
नारेश्वर के मंदिर मुख्य द्वार की एक दूसरी विशेषता है। ये स्वाभाविक है की हम किसी भी मंदिर में अपने बूत चम्पल बहार उतारके ही जाते है। ठीक वैसे ही गेट के दोनों तरफ चम्पल का स्टैंड होता है।
पर विशेषता यह हे की यहाँ हम अपने पाव धोने के बाद मंदिर में प्रवेश करते है। मैन गेट के दरवाजे पर निचे इस तरह की रचना की गयी है की वहा से लगातार पानी का प्रवाह निकलता रहता है। कोई भी भक्त अंदर जाता है तो पानी के बहते हुए प्रवाह में पग रखने के बाद ही अंदर जाता है। जिसे हमरे पाव अपने आप स्वच्छ हो जाते है, पवित्र हो जाते है।
शांति कुंज
नारेश्वर में अवधूत महाराज के प्रांगण में एक जगह का नाम शांति कुंज रखा गया है। शांति कुंज में पुंजय अवधूत महाराज ने अपने जीवन में जो भी वस्तुये का उपयोग किया है वह सभी वहां राखी गयी है। इसमें पुंजय बापजी की पादुका, उनका बिस्तर, थाली, कटोरा,चमची जैसी हरेक चीज वहां सुरक्षित तरीके से रखा गया है।
शांति कुंज के सामने भगवान भोले नाथ की बेहतरीन प्रतिमा स्थापित की गयी है। जिसका हरेक भक्त गण दर्शन करते है।
मातृशैल
मातृ शैल ये पुंजय रंग अवधूत महाराज के मंदिर के बाजुमें की एक जगह है। इस जगह पे पुंजय रंग अवधूत महाराज ने अपनी माता जी का अग्नि संस्कार किया था। पूंजी बापजी अपनी माता जी को सुप्रीम कोर्ट समझते थे। उनका वचन का हमेशा पालन करते थे।
कहते है की पूज्य बापजी ने अग्निपुराण के मुताबिक शास्त्रोक्त विधि से अग्नि संस्कार किया था। इस मातृ शैल की भक्ति भाव पूर्वक श्रद्धा से परिक्रमा की जाये तो हमारी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
नारेश्वर महादेव मंदिर
पुंजय बापजी के मुख्य मंदिर से पहले नारेश्वर महादेव का मंदिर है। भगवान भोले नाथ के इस मंदिर का विशेष महत्व है। कहा जाता है की गोरी पुत्र गणेश ने तपस्चर्या करके कपर्दीश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना की थी। इसका उल्लेख पुराणों भी पाया गया है।
नर्मदा में पुर के समय ये शिवलिंग ब्राह्मण परिवार को यहाँ मिला जिसने यहाँ स्थापित किया। इसीलिए इसे नारेश्वर महादेव नाम दिया गया। पुंजय बापजी के दर्शन के लिए आने वाले हरेक भक गण भगवान भोले नाथ का आर्शीवाद जरूर लेते है।
नारेश्वर में अवधूत पुस्तक भंडार
नारेश्वर में भक्तो का जमावड़ा हमेशा लगा रहता है। उनमे भी गुरुवार और रविवार के दिन वहां जान सैलाब बढ़ जाता है। नारेश्वर में पुंजय रंग अवधूत महाराज को गुरु मानाने वाले भक्तो के लिए पूनम का महत्व विशेष है।
अवधूत महाराज के प्रांगण में अवधूत पुस्तक भंडार है। यहाँ पुंजय अवधूत महाराज से सम्बंधित एवं भगवान दत्तात्रेय से सम्बंधित हरेक पुस्तक मिलती है। साथ में अवधूत महाराज एवं भगवान दत्तात्रेय का फोटो मिलता है।
इसके आलावा धुप, अगरबत्ती, अबिल, गुलाल, चन्दन, कुमकुम, गुलाब जल, मुल्तानी माटी और हरेक प्रकार के पूजा का सामान मिलता है।
नारेश्वर में अवधूत महाराज के मंदिर के प्रांगण में निम् का ये पेड़ है। कहा जाता है की नारेश्वर में निम् के इस पेड़ के पत्ते मीठे है। पर इसे तोड़ने की मनाई है।
चमत्कारी निम् का पेड़ – Nareshwar Dham
नारेश्वर रुक्माम्बा प्रसाद गृह – अन्नपूर्णा क्षेत्र
नारेश्वर धाम की विशेषताओं के कारण ही आज इतना प्रचलित है। और इस मंदिर की ख्याति दिन बदिन बढ़ती जाती है। हमने कही मंदिरो में अन्नक्षेत्र चलाते हुए देखा है। खाने के लिए थोड़ा बहुत चार्ज भी लिया जाता है। पर नारेश्वर में चलने वाले अन्नपूर्णा क्षेत्र में प्रसाद के लिए किसी भी तरह का चार्ज नहीं लिया जाता। यहाँ आने वाले हरेक व्यक्ति को मुक्त में भोजन मिलता है।
पुंजय रंग अवधूत महाराज के नारेश्वर धाम में आने वाले भक्त यहाँ प्रसाद ग्रहण करते है। और ये भक्तो की संख्या हजारो में होती है। वहा का मैनेजमेंट और सेवा करने वाले लोग बहुत ही अच्छी तरह से अन्नक्षेत्र चलाते है। लोगो का जमावड़ा होने के बावजूद भी किसी भी तरह की अव्यवश्था नहीं होती। लोग कृति भक्ति करके धन्यता अनुभवते है।
नारेश्वर का नर्मदा घाट
कहते हे की गंगा में स्नान करने से और माता नर्मदा के दर्शन मात्रा से हमारे पाप दूर हो जाते है। माता नर्मदा नारेश्वर मंदिर की भव्यता में चार चाँद लगा देती है। नारेश्वर नर्मदा का घाट पर्यटकों के लिए पसंदीदा जगह है।
बहोत सरे भक्त गण ऐसे है को मंदिर में दर्शन से पहले स्नान पसंद करते है। पहले नर्मदा मैया में स्नान करेंगे और बादमे पुंजय बापजी के दर्शन करते है।
नर्मदा घाट -Nareshwar Dham
नर्मदा घाट का नजारा देखने लायक होता है। माँ नर्मदा के निर्मल जल में हजारो लोग डुबकी लगाते है। पानी इतना कम है की बच्चे पानी में कही घंटे तक मस्ती करते है। पानी में तैने वाले खिलोने के साथ खेलते खेलते वक्त का पता ही नहीं चलता। फोटोग्राफर पानी में फोटो खींचने के लिए तैयार रहता है।
नदी के किनारे बहुत सारी खिलोने की दुकाने होती है। जो बच्चो के लिए पसंदीदा जगह होती है। नदी के रेट में ऊंट सवारी और घोड़े सवारी की लोग मज़ा लेते है। स्विमिंग व्हील के साथ पानी में घंटो तक समय बिताते है।
और सबसे अहम् गरमा गरम पकोड़े, मकाई और खीचू – पापड़ी आता (एक गुजरती खाने की चीज) का हरेक व्यक्ति मज़ा लेता है। बाहर सारी टेम्पोरेरी दुकाने लाइन होती है। स्नान के बाद लोग ब्रेकफास्ट का लूप जरूर उठाते है।
हजारो लोगो से भरा हुआ ये तट अपनी सुंदरता बिखेरता है।
रंग अवधूत निवास ट्रस्ट नारेश्वर – Nareshwar Dham
नारेश्वर धाम ( Nareshwar Dham) के सम्पूर्ण संचन ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है। यह ट्रस्ट का नाम है रंग अवधूत निवास ट्रस्ट। इस ट्रस्ट का रजिस्ट्रशन भी किया गया है और समयांतर पर सरकारी नियमो के अनुसार ऑडिट भी होती है।
पुंजय बापजी के इस पावन धाम के विकास का श्रेय इस ट्रस्ट को जाता है। बहुत ही प्रामाणिक तरीके से संचालित करते है। और आने वाले भक्तो के लिए नयी नयी सुविधा का ध्यान रखते है।
ट्रस्ट के कार्यालय की ऑफिस है। कार्यालय में दान को स्वीकारा जाता है। हम जो भो दान करते है हमें उसकी रसीद तुरंत मिल जाती है।
वहा सेवा करने वाले और दूर से आने वाले भक्तगण के लिए आवास की सुविधा भी मौजूद है। वहा रहने के लिए आवास मिलता मिलता है। पर ये पहले से बात करके जाये तो ट्रस्ट के सभ्यो को मैनेज करना सुविधा जनक होता है।
रंग अवधूत निवास ट्रस्ट के सभ्य गण एवं कांटेक्ट डिटेल्स – Nareshwar Contact Number Details
1- डॉ हरिप्रसाद (धीरूभाई) जोशी ( मैनेजिंग ट्रस्टी) फ़ोन नंबर – 0265 2487315
2- श्री मति वासंती बेन नायक – फ़ोन नंबर – 02632 248252
3- डॉ नृपतसिंह परमार – फ़ोन नंबर -02666 253253
4- विरंचि प्रसाद शास्त्री – फ़ोन नंबर – 02661 266408
5- योगेशभाई व्यास
नारेश्वर में गुरुपूर्णिमा और पादुका पूंजन का खास महत्व है।
पुंजय बापजी की पादुका पूजन होता है। कहते है की जीवन में पादुका पूजन से ही गुरु का अवतरण होता है। मनुष्य जीवन में सफलता एवं साधना का आधार गुरु ही है।
एक साधक के जीवन में गुरु की पादुका पूजन का विशेष महत्व होता हे। पूर्ण श्रद्धा और भावपूर्ण से पादुका पूंजन किया जाता है।
कोई भी शिष्य एकाग्रतासे गुरु की पादुका का पूंजन करता है। तब उसके सम्पूर्ण कर्म गुरु के चरणों में अर्पण करता है। अपने मन वचन, शरीर एवं इन्द्रियों से होने वाले कर्म गुरु को समर्पित करता है।
नारेश्वर में गुरुपूर्णिमा के आलावा भी पादुका पूंजन का कार्यक्रम होता है। जो भी भक्त पादुका पूंजन करवाना चाहता है उसे कार्यालय में संपर्क करना होता है। पादुका पूंजन के लिए भ्रह्माण और पूंजन की सामग्री भी वही से उपलब्ध कराई जाती है।
पूज्य रंग अवधूत महाराज द्वारा लिखी गयी दत्त बावनी का आप निचे दर्शन कर सकते हो।
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Nareshwar Dham गुजरात के एक अच्छे पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है। पुंजय बापजीके भक्तो का जमावड़ा भी हमेशा रहता है। यदि आप जाने का सोच रहे हो तो जरूर जाना चाहिए। कुदरती प्रकृति का अनुभव के लिए ये उत्तम जगह है।
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