मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री राम की आरती। (Ramchandra ji ki Aarti) भक्तो द्वारा सुबह साम की जाती है। भारत देश के गांव, गांव में भगवान श्री राम का मंदिर है। हर मंदिर में भगवन श्री राम की आरती होती है। यहाँ भगवान रामचंद्र जी की दो आरती लिखी गयी है। भक्त अपनी इच्छा के अनुशार आरती का पठन करता है।
मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम का जन्म
अयोध्या के सम्राट राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के हेतु यज्ञ कराया था। जिसके फल स्वरुप राजा दशरथ के यहाँ चार पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। जिसमे सबसे बड़े राम माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लेते है। जब श्री राम का जन्म हुआ था तब चैत्र मास की शुकल पक्ष की नवमी की तिथि वर्णित है। आज सनातन हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी इसे राम नवमी के तोर पे मनाते है।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की अद्भुत रचना की है। ये रचना विश्व प्रसिद्ध है। इस में भगवान श्री राम का सम्पूर्ण जीवन की गाथा का वर्णन है। भगवान श्री राम भारत में ही नहीं पुरे विश्व में एक आदर्श पुरुष के तोर पे पूजे जाते है।
यहाँ भगवान श्री राम की आरती लिखी गयी है। अपने तन, मन से लीन हो कर आरती का पठन करने से हमें प्रभु के पास पहोचने का अहसास होता है।
भगवान श्री राम की आरती – Bhagavan Shree Ram ki Aarti
भगवान रामचंद्र जी की आरती – Ramchandra ji ki Aarti
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणं।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुंदरम।
पट्पीत मानहु तडिप रूचि सूचि नौमी जनक सुतावरम।।
भजु दिन बंधू दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम।।
शिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अंग विभुषणं।
आजानु भुज शर चाप घर संग्राम जित खर -धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम।
मम हदय कुंज निवास कुरु कामादि खल दल गंजनम।।
मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर सवारों।
करुणा निधान सुजान सीलू सनेहु जानत रावरो।।
एही भांति गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजी पूनी पूनि मुदित मन मंदिर चली।।
जानी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाई कही।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
भगवान रामचंद्र जी की आरती
आरती की जे रामचंद्र जी की।
हरी -हरी दुस्टदलन सीता पति जी की।।
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला।।
दूसरी आरती देवकी नंदन।
भक्त उबारन कंस निकंदन।।
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे।।
चौथी आरती चहु युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा।।
पांचवी आरती राम को भावे।
रामजी यश नाम देव जी गावें।।
भगवान श्री राम वैश्विक आदर्श पुरुष
भगवान श्री राम को विष्णु के अवतार माना जाता है। इस हिसाब से पूरा विश्व ही उनका परिवार है। जगत को चलने वाला जगत नियंता जब किसी के घर जन्म लेते है, तो आम मनुष्य की तरह सम्पूर्ण सांसारिक समस्या से गुजरना पड़ता है। ये भगवान राम के जन्म से प्रतीत होता है।
संसार में पुत्र, पति, भाई, पिता, मित्र, शत्रु का रोल कैसे निभाना चाहिए ये ये भगवान राम के जीवन से प्रतीत होता है। राम से उत्तम उदाहरण आज तक दुनिया में नहीं मिला। इसीलिए आज भी पूरी दुनिया कहती है, रघुकुल नित सदा चली आयी, प्राण जाये पन वचन न जाये ।
Ganga Maiya Ki Aarti – गंगा मैया आरती
krishna bhagwan ki aarti – कृष्ण भगवान की आरती
Shambhu Sharne Padi- शम्भू शरणे पड़ी – शिवजी की स्तुति
Satyanarayan Vrat katha – श्री सत्यनारायण कथा
भगवान रामचंदर जी की आरती का महत्व
भगवान श्री राम चंद्र जी की आरती (Ramchandra ji ki Aarti) का सबसे बड़ा लाभ यह है की, पवनपुत्र हनुमानजी की कृपा हमेशा बानी रहती है। घरसे नकारात्मक शक्ति दूर होती है। भगवान रामजी की कृपा हमेशा हम पे बनी रहती है।