भगवान सत्यनारायण याने भगवान विष्णु। सत्यनारायण भगवान की आरती कथा के पश्चाद की जाती है। भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण सावन मास में अधिक होता है। पर कोई भी पूजन या कथा आरती के बगैर पूरा नहीं होता। यहाँ भगवान सत्यनारायण जी की आरती (Satyanarayan Bhagavan ki Aarti) है।
भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी माँ है। माता लक्ष्मीजी के नाम से ही आरती की शरुआत होती है। श्री सत्यनारायण की आरती में भगवान विष्णु के सम्पूर्ण रूप का वर्णन है। भक्त जन इस आरती से आराधना करके प्रभु भक्ति में लीन हो जाते है।
श्री सत्यनारायण जी की आरती
जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
रतन जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे।
नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
प्रकट भए कलिकारण, द्विज को दरस दियो।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
दुर्बल भील कठोरो, जिन पर कृपा करि।
चंद्रचुद एक राजा, तिनकी विपत्ति हरी।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही।
सो फल भाग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्ही।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
भव भक्ति के कारण, छीन-छीन रुप धरियो।
श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करि।
मनवांछित फल दीन्हो दिन दयालु हरी।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
चढ़त प्रसाद सवायो,कदली फल मेवा।
धूप-दिप-तुलसी से, राजी सत्य देवा।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्य नारायण जी की आरती जो कोई नर गावै।
रिध्धि सिद्धि सुख सम्पति, सहज रूप पावे।।
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा।।
भगवान सत्यनारायण आरती का महत्व -Satyanarayan Bhagavan ki Aarti
आरती किसी भी देवी देवता के समीप जाने का रास्ता है। आरती के द्वारा हम हमारे भाव प्रगट करते है। हम जिस देवी देवता की आरती करते है, उसमे तल्लीन हो जाते है। और हमें एक अद्भुत अनुभूति होती है ।
किसी भी देवी देवता के पूजन या कथा के बाद आरती जरूर होती है। पूजन या कथा का संपन्न आरती के साथ ही किया जाता है। ठीक उसी तरह भगवन सत्य नारायण की आरती कथा के बाद की जाती है। भगवान सत्यनारायण की कथा का लाभ हमें आरती के पूर्णता के बाद ही प्राप्त होता है।
आरती के बाद थाल गाया जाता है । और सबसे अजीब भगवान सत्यनारायण का प्रसाद। कहा जाता है भगवान सत्य नारायण का प्रसाद दुनिया में कही भी बनाओ एक ही तरह के स्वाद का बनता है। प्रसाद का वितरण भी आरती के बाद ही होता है।
वैसे भगवान सत्य नारायण की आरती कथा पूर्ण होने के बाद होती है। पर जहा नंदिर है वह आरती सुबह साम दो समय होती है।
सत्यनारायण भगवान की आरती (Satyanarayan Bhagavan ki Aarti) करने के बाद सबसे पहले सभी देवो को आरती प्रदान की जाती है। उसके बाद खुद ले और सभी श्रोता जानो को दे। आरती में प्रज्जवलित दिप से हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।