शनि देव को हिन्दू सनातन धर्म में कठोर देवता माना जाता है। कहते है की जब शनिदेव का प्रकोप होता है, तो जीवन छिन्न – भिन्न हो जाता है। और शनि देव की कृपा होती है, तो जीवन धन्य हो जाता है। यहाँ शनि चालीसा ( Shani Dev Chalisa) का वर्णन किया गया है। साथ में शनि देव का मंत्र हिंदी अर्थ के साथ है जिसे आमतौर पर लोग भगवान शनिदेव की आराधना करते है।
शनि देव भगवान सूर्य नारायण के पुत्र है। शनि देव न्याय के लिए जाना जाता है। माना जाता है की, मनुष्य के कर्मो की सजा और फल शनि देव के आधीन है। शनिदेव कठोर दंड के लिए भी जाने जाते है। और भक्तो पे कृपा बरसाने के लिए भी जाने जाते है। पाप कर्म करने वालो के लिए शनि देव कोपायमान होते है। वही अच्छे कर्मो के फल स्वरुप हमें जीवम में सुख समृद्धि और खुशिओ प्रदान करते है।
शनि चालीसा का महत्व –
हिन्दू सनातन धर्म में पूजा, आरती, स्तोत्र, मंत्र एवं चालीसा आराधना पद्धति का एक हिस्सा है।
देवी देवता का चालीसा का पठन करना या श्रवण करना ये वैदिक धर्म की उपासना पद्धति है।
जिस तरह हनुमान चालीसा विश्व में पठन किया जाता है, ठीक उसी तरह शनि चालीसा का भी महत्व है।
शनिवार के दिन भगवान शनि देव के चालीसा (Shani Dev Chalisa) का पठन और श्रवण अत्यंत लाभदायी होता है।
शनि चालीसा से भगवान शनि देव की कृपा हम पे बनी रहती है। किसी भी ग्रह का दुष्प्रभाव दूर होता है। मनुष्य जीवन के कष्ट दूर होते है, और सुख समृद्धि बढ़ता है।
Shani Chalisa
दोहा
जय गणेश गिरजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दिनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल।।
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा है रवि तनय, राखहु जन की लाज।।
Shri Shani Chalisa in Hindi
चोपाई
जयति जयति शनि देव दयाला, करत सदा भक्तन प्रतिपाला।
चार भुजा तनु श्याम विराजै, माथे रतन मुकुट छबि छाजै।
परम विशाल मनोहर भाला, टेढ़ी दृष्टि मुकुटी विकराला।
कुण्डल श्रवण चमचम चमके, हिय माल मुक्तन मणि दमके।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा, पल बिच करें अरहीं संहारा।
पिंगल कृष्णों नंदन, यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन।
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा, भानु पुत्र पूजहिं सब कामा।
जा पर प्रभु प्रसन्न हैं जाहिं, रंकहुँ राव करैं क्षण माहिं।
पर्वतहू तृण होई निहारत, तृणहू को पर्वत करि डारत।
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो, कैकेइहुँ की मति हरी लीन्हयो।
बनहूँ में मृग कपट दिखाई, मातु जानकी गई चुराई।
लखनहीं शक्ति विकल करिडारा, मचिगा दल में हाहाकारा।
रावण की गति मति बौराई, रामचन्द्र सौं बैर चढ़ाई।
दियो किट करि कंचन लंका, बजी बजरग बीर की डंका।
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा, चित्रे मयूर निगलि गै हारा।
हर नौलखा लाग्यो चोरी, हाथ पैर दलवाय तोरी।
भारी दशा निकृष्ट दिखायो, तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो।
विनय राग दीपक महं कीन्हियों, तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हयो।
हरिश्चंद्र नृप नारी बिकानि, आपहुं भरे डोम घर पानी।
तैले नल पर दशा सिरानी, भुंजीमीन कूद गई पानी।
श्री शंकरहीं गह्यो जब जाइ, पारवती को सती कराई।
तनिक विलोकत ही करि रिसा, नभ उडी गयो गौरीसुत सीसा।
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी, बची द्रोपदी होति उधारी।
कौरव के भी गति मति मरायो, यद्ध महाभारत करि डारयो।
रवि कहँ मुख महँ धरी तत्काला, लेकर कूदि परयो पाताला।
शेष देवलखि विनती लाई, रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।
वाहन प्रभु के सात सजाना, जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।
जम्बुक सिंह आदि नख धारी, सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।
गज वाहन लक्ष्मी गृहे आवैं, हय ते सुख सम्पति उपजावैं।
गर्दभ हानि करै बहु क़ज़ा, सिंह सिद्धकर राज समाजा।
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै, मृग दे कष्ट प्राण संहारै।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी, चोरी आदि होय डर भारी।
तैसहि चारि चरण यह नामा, स्वर्ण लोह चाँदी अरु तामा।
लोह चरण पर जब प्रभु आवें, धन सम्पति नष्ट करावैं।
समता ताम्र रजत शुभकारी, स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी।
जो यह शनि चरित्र नित गावै, कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला, करें शत्रु के नशि बलि ढीला।
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई, विधिवत शनि ग्रह शांति कराई।
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत, दिप दान दै बहु सुख पावत।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा, शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।
दोहा
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार,
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार।
शनि चालीसा से लाभ – Benefits of Shani Dev Chalisa
1 – शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) के नित्य पठन और श्रवण से जीवन भयमुक्त हो जाता है।
2 – शनि भगवान के ग्रहो का कोई दुष्प्रभाव हमारे जीवन पर नहीं पड़ता।
3 – जन्मकुंडली की विषम परिस्थिति एवं सनी की सादे साती के दुष्प्रभाव को दूर किया जाता है।
4 – शनि देव न्याय प्रिय देवता है, ये हमारे जीवन में अन्याय नहीं होने देते।
5 – शनि चालीसा से मांगलिक प्रसंग की रुकावटे दूर हो जाती है।
6 – नित्य सनी उपासना से सांसारिक आपदाओं से दूर रहते है।
7 – शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) से भगवान सनी देव की कृपा हम पे बनी रहती है। सनी देव की कृपा से व्यक्ति को रंक से राजा बनने में देर नहीं लगती।
शनिदेव का मंत्र हिंदी अर्थ सहित
श्री नीलान्जन समाभासं, रवि पुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम।।
शनिदेव भगवान सूर्यनाराय के पुत्र है। शनि देव को सभी नो ग्रहो के राजा कहा जाता है। शनि देव मनुष्य को अपने कर्मो के हिसाब से फल देते है। शनिवार के दिन शनि देव को तेल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।
ॐ शं शनैश्चरायै नम:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
शनिदेव का दिन शनिवार होता है। शनिवार के दिन स्नान करके काले वस्त्र धारण करे। और शनिदेव की प्रतिमा के पास जाकर इस मंत्र का जाप करे। । इसे घर या मंदिर कही भी कर सकते है।
शनिदेव का ये मंत्र बहुत शक्तिशाली माना जाता है
ऊं कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात।
हर शनिवार शाम को पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। यही काम शमी के पेड़ के नीचे भी करें। इससे शनि दशा का प्रभाव कम होता है।
भगवान शनि देव की आराधना सदैव हमें सन्मार्ग पे ले जाती है। शनिदेव के चालीसा (Shani Dev Chalisa) के पठन और श्रवण से सबका कल्याण हो।