Shitla Mata Aarti – शीतला माता की आरती एवं पूजन

हिन्दू सनातन धर्म में हर एक देवी देवता की आरती का विशेष महत्व है। यहाँ हम माता शीतला से जुडी कुछ रोचक तथ्य को देखेंगे।  इसमें माता शीतला की आरती (Shitla Mata Aarti), माता शीतला के प्रसिद्ध मंदिर 

आज हमारी उपासना पद्धति, पूजा पध्धति, में बहुत सारे सवाल पूछे जाते है। सभी सवालों के जवाब हमरे पुराणों में मिलते है। माता शीतला का उल्लेख पौराणो में मिलता है।

पौराणिक कथा के अनुशार माता शीतला शक्ति का अवतार है। जिनकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी के द्वारा हुई थी। भगवान शिव की जीवन संगिनी माना जाता है।

चेचक में माता शीतला के पूजन का विशेष महत्व 

माता शीतला को आरोग्य की देवी माना जाता है। श्रद्धा पूर्वक माता शीतला का पुंजन करने से निरामय स्वाथ्य की प्राप्ति होती है। खास करके चमड़ी के रोग जैसे खसरा, चेचक और आँखों से सम्बंधित रोग में माता शीतला का पूजन किया जाता है। ऐसे रोग में तत्काल राहत मिलती है।

चेचक याने शरीर पे लाल – लाल दाने निकल आते है। गर्मी बहुत लगती है। शरीर पे कुछ ठंडा डाला जाये तो अच्छा मह्सुश होता है। चेचक की बीमारी से दूर रहने के लिए लोग माता शीतला का व्रत रखते है।

माता शीतला का व्रत में सुबह जल्दी उठकर माता की पूजन अर्चन करना है। और परिवार के सभी सदस्यों को माता शीतला के मंदिर वासी भोजन करना होता है। वासी याने ठंडा ऐसा भोजन जो तत्काल न बनाया हो। लम्बे वक्त तक ख़राब न हो।

ये व्रत हिन्दू सनातन धर्म के सभी लोग साल में एक बार करते है। यहाँ कोई जाती धर्म का भेदभाव नहीं होता।

आमतौर पर माता शीतला का मंदिर वृक्ष के निचे रहता है। मंदिर में पूजा पाठ करने के बाद उसी मदिर के आसपास बैठकर खाना खाया जाता है।

Shitla Mata 

Shitla mata AartiShitla Mata aarti

 

शीतला माता की आरती – Shitla Mata Aarti

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदिज्योति महारानी, सेबफल की दाता।।
ॐ जय शीतला माता।

रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता।
रिद्धि सिद्धि चँवर धुलावे, जगमग छवि छाता।।
ॐ जय शीतला माता।

विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता।
वेद पुराण वरणत, पार नहीं पाता।।
ॐ जय शीतला माता।

इन्द्र मृदङ्ग बजावत,चन्द्र विणा हाथ।
सूरज ताल बजावै, नारद मुनि गाता।।
ॐ जय शीतला माता।

घण्टा शङ्ख शहनाई, बाजै मन भाता।
करें भक्त जन आरती, लखि लखि हर्षाता।।
ॐ जय शीतला माता।

ब्रह्म रूप वरदानी, तुहि तीन कल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता।।
ॐ जय शीतला माता।

जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाता।
सकल मनोरथ पावै, भवनिधि तर जाता।।
ॐ जय शीतला माता।

रोगो से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आता।
कोई पावै निर्मल काया, अंध नेत्र पाता।।
ॐ जय शीतला माता।

बांझ पुत्र को पावै, दरिद्र कट जाता।
ताको भजे जो नाही, सिर धुनि पछताता।।
ॐ जय शीतला माता।

शीतल करती जननी, तू ही है जग त्राता।
उत्पति व्याधि बिनाशन, तू सब की धता।।
ॐ जय शीतला माता।

दास विचित्र कर जोड़े, सुन मेरी माता।
भक्ति अपनी दीजै, और न कुछ भाता।।
ॐ जय शीतला माता।

जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता।
ॐ जय शीतला माता।

माता शीतला के आराधना में शीतलाष्टकम स्तोत्र का खास महत्व है। माता शीतला को प्रसन्न करने हेतु ये स्तोत्र का पठन किया जाता है। स्कंध पुराण के मुताबिक शीतलष्टम स्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शिव ने किया था। एवं माता शीतला के वंदन के लिए स्कंध पुराण में मंत्र दिए गए है। जिसका उच्चारण भक्त के द्रारा किया जाता है।

माता शीतला का पूजन 

माता शीतला की विशेष पूजा शीतला अष्टमी के दिन होती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में अष्टमी को शीतला अष्टमी के नाम से जाना जाता है। साल 2022 में 25 मार्च को शीतला अष्टमी है। इस दिन शीतला माता के पूजन का विशेष महत्व है।

  • माता शीतला का पूजन करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना है। 
  • साफ सुथरे वस्त्र पहनना है।
  • पूजा की थाली तैयार करना है। जिसमे पूजाके सामान के साथ जल से भरा कलस रखना है।
  • पूजा की थाली में रोली, हल्दी, चावल, काजल, मौली अबिल, गुलाल, कुमकुम रखना है।
  • ठंडा खाना खाना है। ये भी हमें मंदिर साथ ले जाना है। इसमें दही, रोटी, बाजरा और ऐसी वानगी जो ठंडी हो और अच्छी हो।
  • माता शीतला के पूजन के बाद हमें, वटवृक्ष के निचे सह परिवार खाना है। इससे माता की विशेष कृपा होती है। 
  • माता शीतला के पूजन में नारंगी रंग का विशेष महत्व है। इसमें नारंगी रंग की चुनरी चढ़ये तो बेहतर। हो सके तो नारंगी रंग के वस्त्र पहने और आसान भी नारंगी रखे।

 

शीतला माता का पौराणिक मंदिर कहा है ? Shitla Mata Temple

हमारे देश में शीतला माता के प्राचीन एवं पौराणिक मंदिर है। हजारो आततायो के अनेक प्रायशो के बावजूद हमारी संस्कृति श्रीमंत रही। पर अब जागने का समय आ गया है। अब सचेत रहना का समय आ गया है।

माता शीतला के पौराणिक एवं प्रख्यात मंदिर की बात करे तो,

1- गुड़गांव में माता शीतला का लगभग 500 साल से भी पुराणा मंदिर है।

2- राजस्थान के पाली जिले माता शीतला माँ मंदिर लगभग 800 साल पुराणा है।

3- माता शीतला का एक पौराणिक मंदिर भोपाल में है। जो करीब 250 से ज्यादा साल पुराणा है।

4- उत्तर प्रदेश के लखनऊ में माता शीतला का पौराणिक मंदिर है। ये बहुत ही प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक मंदिर है।

5- सबसे विशाल एवं भव्य मंदिर में जबलपुर के पास धामपुर है। 

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