भगवान भोले नाथ का निराकार स्वरुप शिवलिंग को लेकर बहुत लोगो में तरह तरह के सवाल होता है। जैसे शिवलिंग क्या होता है ?( Shivling kya hota hai ?) शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई ? शिवलिंग का सही अर्थ क्या है ? शिवलिंग का महत्व क्या है ? क्यों चढ़ाया जाता है, शिवलिंग पे दूध और जल ?
शिवलिंग की कहानी – शिवलिंग क्या है ? शिवलिंग की कैसे उत्पत्ति हुई ?
शिवजी के भक्त को एक बार शिव महापुराण पढ़ना चाहिए, या शिव महापुराण की कथा सुनना चाहिए। शिव महापुराण में भगवान भोले नाथ को समग्र संसार की उत्पत्ति का कारण बताया गया है।
पर ब्रह्म और देवो के देव महादेव कहा गया है। इस समग्र सृष्टि में भगवान शिव ही निराकार स्वरुप पूर्ण पुरुष है। निराकार के प्रतिक के रूप में शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतिक मानकर पुंजन किया जाता है।
शिवलिंग की उत्पत्ति का विवरण लिंगपुराण में मिलता है।
Shivling kya hota hai
एक बार ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु शिव का चरण और मस्तिष्क ढूंढने निकल पड़े। भगवान विष्णु अंत ढूंढने चरण की तरफ गए। वही ब्रह्मा मस्तिष्क का अंत ढूंढने ऊपर की तरफ गए।
कही सालो की खोजबीन के बाद दोनों वापस लौटे, ना शिव का अंत मिला ना आदि। जिसका ना कोई अंत है ना आदि, वही अनत है, वही शिव है।
यही तेजोमय प्रकाशमय शिव का निराकार रूप शिवलिंग था। यहाँ शिवलिंग का अंत मिला न शरुआत
यहाँ भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा ने शिवलिंग का सबसे पहले पूजन किया। यह दुनिया का पहला शिवलिंग कहा जाता है।
इसके बाद भगवान शिव के प्रतिक के रूप में हर जगह शिवलिंग की स्थापना एवं पुंजन किया जाता है।
परम कल्याणकारी समस्त ब्रह्मांड के मालिक सत्य रूपी शिव को मूर्ति एवं शिवलिंग ( आकर एवं निराकार ) के रूप में पूजा जाता है।
शिवलिंग का महत्व
शिव सत्य है, शिव सुन्दर है, शिव परम कल्याणकारी है, भक्तो पे शीघ्र पसंद होने वाले भोले नाथ है। देवो के देव महादेव है। ऐसे भगवान शिव के प्रतिक के रूप में जिस अंडाकार लिंग का पूजन किया जाता है, यह शिवलिंग है।
स्तम्भाकार शिवलिंग विश्व में सर्वे व्यापी शिव के निराकार स्वरुप को दर्शाता है। मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति की जगह शिवलिंग की स्थापना की जाती है। भगवान शिव के मंदिर को शिवालय भी कहा जाता है।
सकल ब्रह्मांड के स्वामी, संसार के सभी अस्तित्व एवं सभी रचनाओं के पिता शिवजी है। जिसका हिन्दू धर्म में धार्मिक प्रतिक शिवलिंग है।
हिन्दू सनातन धर्म में हमारे ऋषि मुनियो द्वारा मूर्ति पूजा का प्राधान्य दिया गया है। इसीलिए सभी देवी देवता की साकार स्वरुप में आराधना की जाती है।
शिवपुराण के मुताबिक हम शिवजी का साकार और निराकार दोनों रूप में पूजन कर सकते है। शिवजी का साकार स्वरुप पौरुष के रूप में डमरू, त्रिशूल, रुद्राक्ष की माला, त्रिनेत्र, सर्प और बाघ के चमड़े का कपडा रहता है।
शिवजी के निराकार स्वरुप में शिवलिंग का पूजन किया जाता है। शिवपुराण के आधार पे दोनों तरह की आराधना कल्याणकारी है। पर उत्तम शिवलिंग का पूजन है।
हमें शिवलिंग का अर्थ क्यों जानना चाहिए ?
शिवलिंग के बारेमे जानने की हमारी उत्सुकता क्यों होनी चाहिए ? कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति ? क्यों की जाती है शिवलिंग की पूजा ?
1- हम सनातन हिन्दू धर्म को मानने वाले है। हमें अपने धर्म का ज्ञान जरूर होना चाहिए ।
2- बिना जाने – बिना समजे कोई भी काम सम्पूर्ण लाभदायी नहीं होता। हम क्या और क्यों कर रहे है, ये जानना जरुरी है।
3- भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए इस संस्कृति का ज्ञान जरुरी है ।
4- हमें सही ज्ञान होगा तो हम अपने बच्चो एवं वरसदारो को ज्ञान प्रदान कर सकते है ।
5- जगत में हमारे धर्म के बारेमे भ्रामक बाते एवं जूथ फ़ैलाने वालो को जवाब दे सकते है।
6- शिवलिंग के बारेमे जानके की जाने वाली पूजन से आत्मीयता और दृढ विश्वास बढ़ता है।
7- हमारे धर्म की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है, और ये हमें निभाना चाहिए।
शिवलिंग का साचोट अर्थ- Shivling kya hota hai ? Meaning of Shivling
अर्थ का मतलब होता है, मतलब ( मीनिंग ), इसे दूसरे शब्दों में, या विस्तार ( अर्थात ) भी कहा जाता है।
यहाँ आगे बढ़ने से पहले कुछ ऐसे शब्द देखते है, जिसका अर्थ एक से ज्यादा होता है।
शिवलिंग के बारेमे कुछ कहे इससे अच्छा है, इसे प्रमाण के साथ समजा जाये।
Shivling kya hota hai
हमारी भाषा ओ में कही शब्द ऐसे होते है, जिसका अर्थ एक से ज्यादा होता है। उदाहरण के तोर पर ऐसे तीन शब्द निचे दिए गए है, इसे एक बार जरूर पढ़े।
अर्थ -, धन, अभिप्राय, निमित होने का कारण, एक भाषा को समझाने के लिए दूसरी भाषा में रूपांतर। ये अर्थ शब्द का विवरण है।
सूत्र – धागा, रस्सी, बिचका व्यक्ति जिसे जानकारी मिली है,( सूत्रों के हवाले से खबर ) अर्थ सभर छोटा वाकया।( गणित के सूत्र ) यह सूत्र शब्द का विवरण है।
वर्ण – रंग, अक्षर, जाती, जातिवाचक शब्द । ये वर्ण शब्द का विवरण है।
लिंग – जातिवाचक शब्द स्त्री लिंग, पुल्लिंग – पुरुष, पुरुषेन्द्रिय, संकेत, चिन्ह, निशानी, प्रतिक। यह लिंग शब्द का विवरण है।
हम ऊपर के चारो शब्दों को पढ़ के समज सकते है, की एक ही शब्दों के अलग – अलग कही मीनिंग होते है। जिस परिस्थिति में जो फिट होता है, उसे जोड़कर वाक्य पूर्ण किया जाता है।
शिवलिंग की बात करे तो,
लिंग का अर्थ होता है, चिन्ह, निशान, प्रतिक।
शिव का अर्थ होता है, परम कल्याणकारी ।
शिवलिंग याने ने शिव का वो रूप जो परम कल्याणकारी है।
एक शब्द का विभिन्न भाषाओ में अलग – अलग अर्थ होता है। विधर्मी और षड़यंत्र कारी
शिवलिंग का अनर्थ योनि और लिंग के रूप में भी कही लोग करते है। ये असामाजिक तत्वों का धर्म को बदनाम करने का उद्देश्य हो सकता है। या फिर ये उनकी अज्ञानता वश ये आर्थिक लाभ के लिए करते है।
शिवलिंग का मतलब अनंत, नाही कोई अंत और नाही कोई शरुआत। जो अनंत है वह शिव है। इसका प्रतिक शिवलिंग है।
आशा है आप इसे समज गए होंगे।
कही असामाजिक तत्त्व और सनातन हिन्दू धर्म को बदनाम करने हेतु शिवलिंग का अनर्थ कर देते है। कही बार अधूरा ज्ञान हमें सही दिशा नहीं देता इसीलिए हमें हमारे वेद और पुराण का अभ्यास करना चाहिए।
हमें अपने धर्म की रक्षा के लिए, ऐसे असामाजिक तत्वों को जवाब देने के लिए हमारे पास सही ज्ञान होना जरुरी है।
शिवलिंग भगवान शिव का रूप है। इसे भगवान शिव के रूप में पूर्ण श्रद्धा से पूंजन करना चाहिए।
शिवलिंग की रचना कैसे होती है ? किससे शिवलिंग तैयार किया जाता है ?
शिवलिंग की रचना या ने श्रुष्टि के सर्जनहार की रचना। भगवान शम्भू के शिवलिंग की रचना बहुत पवित्रता के साथ की जाती है। उत्तम शिवलिंग स्फटिक का होता है। स्फटिक का अर्थ होता है, मूल्यवान पथ्थर। स्फटिक का शिवलिंग प्रकृति द्वारा निर्माण होने वाली एक कृति है। जिसका मिलना बहुत मुश्किल है।
शिवलिंग की रचना मिटटी, गाय का गोबर, पित्तल, पथ्थर, आरस या संगमरमर का पत्थर, ग्रैनाइट का कल पत्थर से कर सकते है। ग्रैनाइट या आरस के पथ्थर से बनाया गया शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठा करके मंदिर में स्थापना की जाती है। और इसे शिवजी के प्रतिक के रूप में पूजन किया जाता है।
भगवान भोले नाथ का भक्तगण का समूह बहुत ज्यादा होता है। देवो के देव महादेव सबकी मनोकामना पूर्ण करते है इसीलिए ये सबके प्रिय भी है। बहुत सारी स्त्रिया अपने संसार जीवन को सुखी करने हेतु भोले नाथ का व्रत करती है।
पूजन करने के लिए नजदीक में शिवालय नही होता तो, मिटटी का शिवलिंग का निर्माण करके पूजन किया जाता है।
भगवान शिव के शिवलिंग पे हम क्या चढ़ा सकते है ? और क्या नहीं चढ़ा सकते ?
हिन्दू सनातन धर्म में तैतीस कोटि देवी देवता का वर्णन है। इसमें देवाधिदेव महादेव से लेकर प्राकृतिक संपत्ति भी पूजनीय मानी जाती है।
वैदिक संस्कृति में गाय, धरती , नदी को माता मान कर पुंजन किया जाता है। पर्वत का पुंजन होता है, अथिति को देव माना जाता है।
सभी देवता को अपनी पसंद का चढ़ावा होता है। वैसे भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है की, पत्र, पुष्प, फलं, तोयं ( पान, फूल, फल और पानी ) यह भगवान को अति प्रिय है।
फिर भी भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए प्रिय वस्तु को चढ़ाते है। भगवान के प्रति अपना प्रेम और स्नेह दर्शाता है।
पर कुछ चीजे ऐसी होती है, जो अपने आराध्य देव के लिए अशुभ मानी जाती हो। इसका चढ़ावा या अर्पण नहीं करना चाहिए।
शिवलिंग पे क्या चढ़ाना नहीं चाहिए ( क्या वर्जित है ) ? इसका विस्तार से वर्णन है।
- कुमकुम विवाहित स्त्रियाँ उपयोग करती है इसीलिए ये शिवलिंग पे नहीं चढ़ाया जाता।
- सिंदूर पत्नी अपने लम्बी आयु के लिए सिंदूर से माँग भर्ती है, इसीलिए सिंदूर भी शिवलिंग पे नहीं चढ़ाया जाता।
- स्त्रियाँ अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए हल्दी का भी इस्तेमाल करती है। हल्दी भी शिवलिंग पे नहीं चढ़ाई जाती।
- श्रीफल ( नारियल ) भगवान शिव को अर्पण किया जाता है, चढ़ाया जाता है। पर नारियल का पानी शिव लिंग पे नहीं चढ़ाया जाता।
- पौराणिक कथा के अनुशार केतकी के फूल को जूथ बोलने के कारण श्राप मिला था। की वह किसी देवता को नहीं चढ़ाया जायेगा, इसीलिए केतकी के फूल भी शिवलिंग पे नहीं चढ़ाया जाता।
- तुलसी हरएक शुभ कार्य में उपयोग होने प्रसाद है। पर पौराणिक कथा के अनुशार भगवान शिव को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाये जाते। या ने तुलसी के पान शिवलिंग पे चढ़ाना वर्जित है।
भगवान शिव का पुंजन किससे होता है ? शिवलिंग पे क्या चढ़ाना चाहिए ?
भगवान शिव के निराकार स्वरुप शिवलिंग पे पंचामृत और गन्ने का रस से अभिषेक किया जाता है।
दूध, जल एवं भांग से अभिषेक किया जाता है।
बिल्व पत्र का शिव पुंजन में विशेष महत्व है। जलाभिषेक और बिल्व पत्र के बिना शिव पूजन पूरा नहीं होता।
धतूरा का फल एवं फूल शिवजी को अर्पण किया जाता है।
इसके आलावा काला तिल, अबिल, गुलाल, चन्दन, अक्षत, फूल एवं फूल की माला, इत्र, धुप और घी का दीपक शिवलिंग को अर्पण किया जाता है।
शिवलिंग पे दूध क्यों चढ़ाया जाता है ?
भगवान भोले नाथ के शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुशार समुद्र मंथन के दौरान विष निकला तब सभी देवता स्तब्ध हो गए थे।
इस विष का पान कोन करेगा ? इस विष के प्रभाव से पृथ्वी का क्या होगा यह सोचते थे।
समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष को शिवजी ने अपने कंठ में धारण किया और नीलकंठ कहलाये। नीलकंठ ने सृष्टि के विनाश को रोक दिया।
विष की घातकता दूर करने के लिए देवो ने भगवान शिव को दूध का सेवन करने को कहा। भगवान शिव ने दूध का सेवन करने से पहले उनसे अनुमति मांगी।
दूध के सेवन से हलाहल विष का असर कम हुआ। दूध कारण विष का जहरीला प्रभाव कम हुआ था, इसीलिए दूध भगवान भोले नाथ को प्रिय है। और इसे शिवलिंग पे चढ़ाया जाता है।
जल की धारा भगवान शिव को प्रिय है। जब जलाभिषेक करते है तो, जल की धार धीरे धीरे शिवलिंग पे पड़नी चाहिए।
शम्भू शरणे पड़ी – शिवजी की स्तुति
भगवान पशुपतिनाथ का व्रत एवं महिमा
शिवलिंग का पूरा रहस्य, अर्थ एवं महत्व शिवलिंग क्या होता है ? के इस आर्टिकल में दिया गया है। जिसे हर सनातनी को जानना चाहिए। इससे सम्बंधित कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते है।