सनातन धर्म मंत्र, स्तुति, आरती, प्रार्थना से सुशोभित है। इससे भक्त अपनी श्रद्धा प्रकट करता है। अपने आराध्य देवी, देवता को प्रसन्न करता है। यहाँ माता गायत्री के मंत्र (Shri Gayatri Mantra) का वर्णन है। गायत्री मंत्र का अर्थ, लाभ, मंत्र की साधना कैसे करे ? इसे विस्तृत में समझाया है।
गायत्री मंत्र कलयुग में वरदान की तरह है। इसका महिमा वेद और पुराणों में विदित होता है। ऐसा कहा जाता है की हमें ईश्वर के समीप जाना है तो, हमें नित्य इस गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए ।
हिन्दू सनातन धर्म में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने गायत्री मंत्र नहीं सुना होगा। गायत्री मंत्र सनातन हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र में से एक है। माँ गायत्री की उपासना करने के लिए इस मंत्र का जाप करते है।
माता गायत्री की उपासना करने के लिए माता गायत्री के चालीसा, माता गायत्री के स्तोत्र, माता गायत्री की आरती एवं श्री गायत्री मंत्र ( Shri Gayatri Mantra) का पाठ करते है।
गायत्री मंत्र का महत्त्व – Important of Shri Gayatri Mantra
गायत्री मंत्र मनुष्य की सबसे उत्तम और श्रेष्ठ प्राथना में से एक है। मनुष्य इस मंत्र से संसार के सभी दुखो को दूर करके संसार सागर को पार कर सकते है। और परम आनंद की प्राप्ति कर सकते है।
गायत्री मंत्र सनातन हिन्दू धर्म में एक गहना माना जाता है। हिन्दू धर्म के आधार स्तम्भ चार वेद है। सनातन धर्म की जन्मदात्री गायत्री को वेदमाता गायत्री कहा जाता है। सभी वेदो में माता गायत्री के इस मंत्र का उल्लेख है।
गायत्री मंत्र मनुष्य के लिए एक तरह से ब्रह्मास्त्र कहा जाता है। क्युकी, कभी किसी की गायत्री मंत्र का जाप कभी विफल नहीं होता।
माता गायत्री को पृथ्वी लोक की कामधेनु कहा जाता है। पारसमणि कहा जाता है। सुधा और कल्पवृक्ष से भी सम्बोधन किया जाता है। असल में कल्याणकारी माता गायत्री माता का ये मंत्र जिव मात्र के लिए कल्याणकारी है।
Shri Gayatri Mantra
श्री गायत्री मंत्र – Shri Gayatri Mantra
ॐ भूभुव: स्व: तत्सवितुवरेण्यं भर्गो देवस्य: धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात।।
गायत्री मंत्र का अर्थ – Shri Gayatri Mantra Meaning in Hindi
इस गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ क्या है ? इस मंत्र का हिंदी में मीनिंग क्या होता है उसे समझते है।
हम परमेश्वर (परमात्मा) का ध्यान करते है। जिसने ये संसार का निर्माण किया है। वो प्रभु जो वंदनीय है, पूजनीय है, ज्ञान का सागर है। हमारे पाप तथा अज्ञानता दूर करने वाला है। वो हमें प्रकाश प्रदान करे और धर्म का सही रास्ता दिखाए।
है प्रभु (सृष्टि का रचियिता) हमारी बुद्धि को उजाला (प्रकाश) प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाइये।
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है, ‘गायत्री छन्दसामहम्’ इसका अर्थ होता है, गायत्री मंत्र में में खुद ही हु।
यह मंत्र सूर्यदेव की प्रार्थना समय भी बोला जाता है।
है परमेश्वर, आप हमारे जीवनदाता है।
आप हमारे दुःख,दर्द और पाप को दूर करने वाले है।
सुख, शांति, समृद्धि आपके द्वारा प्रदान की जाती है।
है संसार, सागर का विधाता हमें भक्ति दो,
हमें शक्ति दो की हम आपकी शरण में आ सके।
कृपा करके हमारी बुद्धि को स्थिर रखे और सही रास्ता दिखाए।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द का हिंदी में अर्थ समझेंगे।
ॐ – परमात्मा
भूर – प्राण स्वरुप
भुवः – दुःखनाशक ( सुख प्रदान करने वाला )
स्वः -सुख स्वरुप (दुखो का नाश करने वाला )
तत – सवितुः – सूर्य के जैसा प्रकाशमय (उज्जवल)
वरेण्यं – श्रेष्ठ ( सबसे उत्तम )
भर्गो – पापनाशक (कर्मो का उद्धार करने वाला)
देवस्य – परमेश्वर, प्रभु, दिव्य
धीमहि – ध्यान करने योग्य, धारण करने योग्य
धियो – बुद्धि
यो – जो
न – हमारी
प्रचोदयात – हमें शक्ति दे , हमें प्रेरित करे
गायत्री मंत्र साधना की विधि, विधान और नियम
गायत्री मंत्र का सम्पूर्ण लाभ लेने के लिए हमें उसके उच्चारण के पूर्व कुछ नियमो का पालन करना जरुरी है। जो की यह नियम बहुत सरल है। इसमें कोई विशेष प्रकार की विधि नहीं है। फिर भी हमें उपासना पद्धति का ध्यान रखना चाहिए ।
1- गायत्री मंत्र के जाप में हमारे तन और मन पवित्र होना जरुरी है ।
2- हमारे वस्त्र साफ होने चाहिए । हम आसान पर बैठे है तो आसान स्वच्छ होना चाहिए ।
3- गायत्री मंत्र का जाप हम संध्या समय में कर सकते है। जिसमे एक सूर्योदय के समय। मध्याहन के समय और सूर्यास्त के समय।
4- श्री गायत्री मंत्र (Shri Gayatri Mantra) जाप करने के लिए माला का उपयोग करे। यह माला तुलसी, सुखद या चन्दन की हो तो बेहतर है।
5- गायत्री मंत्र शरू करने से पहले एक ताम्बा के पत्र में जल भर कर रखे। जाप समाप्ति के बाद यह जल को ग्रहण करे।
6- गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले दिप, धुप, अगरबत्ती जलाये। फूल या फूल माला चढ़ाये।
7 – एकाग्रता के साथ अपने आप को प्रभु में विलीन करके जाप शरू करे।
8 – गायत्री मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए।
गायत्री मंत्र से क्या लाभ होते है ? Benifits of Shri Gayatri Mantra
लगभग हिन्दू धर्म के सभी प्रमुख धर्म ग्रंथो में गायत्री मंत्र का उल्लेख किया गया है। गायत्री मंत्र को जान कल्याण के हेतु कलयुग के श्रेष्ठ मंत्र माना जाता है। इस मात्र का प्रभाव स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गीता में भी बताया है। इस मंत्र से मानव मात्र का कल्याण होता है।
1 – मनुष्य जीवन का सबसे उच्च लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति का होता है। नियमित निरंतर गायत्री मंत्र का जाप करने से हम ये लक्ष्य तक पहुंच सकते है।
2- नित्य नियमित गायत्री मंत्र की साधना से सांसारिक सभी दुखो से मुक्ति मिलती है।
3- किसी बीमारी से हम परेशान है तो, ताम्बा के पत्र में जल भर कर गायत्री मंत्र के जाप करे, और अंत में जल का ग्रहण करे। इससे कोई भी रोग का अंत हो जाता है।
4- सांसारिक जीवन में हमारे शत्रु भी होते है। हमारे शत्रु को दूर रखना है तो, रविवार, मंगलवार और अमावश्या के दिन लाल पहनावा पहनके हमें गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
5- माता गायत्री वेदमाता है । ये ज्ञान की देवी है । विधार्थीओ के लिए गायत्री मंत्र बहुत फायदे मंद है। हर रोज 108 बार के जाप से विद्या ग्रहण करने में आसानी रहती है । विधार्थी का मन विचलित नहीं होता ।
6- निःसंतान दंपती साथ में सूर्योदय से पहले गायत्री मंत्र का जाप करते है तो, संतान प्राप्ति का सुख मिलता है।
7- पूर्ण श्रद्धा और ध्यान से वेदमाता गायत्री के मंत्र जाप से मनुष्य जीवन की स्वार्थ रहित सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
8- माता गायत्री की नियमित साधना से नेत्रों का तेज बढ़ता है, लोचन लाल रहता है । दिव्य ज्ञान के साथ अनेक सिद्धि को प्राप्त करता है।
9- गायत्री मंत्र की नित्य क्रम से हमारे दुर्गुण दूर होते है। काम, क्रोध, लोभ, मोह दूर रहते है। दुर्गुण दूर होने के कारण हम शुद्ध होते है। और भगवान के नजदीक पहोचते है।
10- गायत्री मंत्र मनुष्य की दरिद्रता दूर करता है। पूर्ण श्रद्धा और एक चित्त से किया गया माता गायत्री मंत्र का जाप शीघ्र ही फल देता है। हमरे नौकरी, धंधा, व्यापर पे उन्नति होती है। और सभी प्रकार की परेशानी दूर होती है।
गायत्री मंत्र कब सिद्ध होता है ?
ये सवाल बहुत लोगो का है। ये सवाल ऐसा है की लगका बोर्ड की परीक्षा कब पास करेगा ? जब वो बोर्ड तक पहुंचेगा, अच्छी तरह से पढ़ेगा और म्हणत करेगा तो पास होगा।
श्री गायत्री मंत्र (Shri Gayatri Mantra) कल्याणकारी माता गायत्री का आशीर्वाद है। हमें पालन करने वाली माता पे अटूट श्रद्धा होना जरुरी है। गायत्री मंत्र में पवित्रता और नियमितता बहुत जरुरी है।
अपने कार्य सिद्धि के लिए गायत्री मंत्र का जाप करना मतलब हमें अपने आप को माता गायत्री के शरणमे सोप देना होता है। समय सिमा हम नहीं पर हमें देने वाली जगत जननी त्यय करेगी।
- गायत्री मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए ?
गायत्री मंत्र का जाप आमतौर पे 108 बार किया जाता है। पर यदि आपकी कोई मन्नत है तो, 1008 बार भी कर सकते हो।
- गायत्री मंत्र का जाप कब करना चाहिए ?
श्री गायत्री मंत्र (Shri Gayatri Mantra)का जाप तीनो पाहोर याने संध्या समय करना चाहिए। संध्या समय याने सूर्य एक पाहोर से दूसरे पाहोर में जाने वाला समय।
जिसमे एक है सूर्योदय का समय। दूसरा है सूर्य जब मध्य में हो वह समय, मध्याहन। और तीसरा सूर्यास्त का समय। ये तीनो समय में माता गायत्री के मंत्र जाप के लिए उत्तम माना जाता है।
- स्त्री गायत्री मंत्र का जाप कर सकती है ?
जी हा, जिव मात्र के कल्याण का मार्ग गायत्री मंत्र है। इसीलिए कोई भी इसकी साधना कर सकता है।
गायत्री मंत्र किसने बनाया ?
माना जाता है की श्री गायत्री मंत्र (Shri Gayatri Mantra) पहले देवता ओ के लिए था। काफी तपस्या के बाद विश्वामित्र ऋषि ने इस मंत्र को जन कल्याण हेतु लोगो तक पहुंचाया ।
इस मंत्र में किसी भी तरह की आर्थिंक और सामाजिक मांग नहीं है। इसमें हमरी बुद्धि को कल्याण कारी बनाने की बात कही गयी है। जो हमें हमेशा सन्मार्ग की दिशामे ले जाती है।
अपने देश के महान लोगो के अनुभव से गायत्री मंत्र का महत्व
हमारे देश की महान लोग जो हमारे लिए सदा आदरणीय रहे है। उनके जीवन में गायत्री म्नत्र का क्या स्थान है ये उन्होंने बताया है।
1- श्री गायत्री मंत्र (Shri Gayatri Mantra) का निरंतर जाप रोगिओं को अच्छा करने और आत्माओंकी उन्नति के लिए उपयोगी है। ( महात्मा गाँधी )
2- हमारे ऋषिओ ने हमें जो अमूल्य रत्न हमें दिए है, इसमें गायत्री मंत्र अनुपम है। जिसे बुद्धि पवित्र होती है। ( मदन मोहन मालवीय )
3- सचमुच गायत्री एक महाशक्ति है, जिसे हमें श्रद्धा पूर्वक ह्दयगम करना चाहिए। ( महात्मा गाँधी )
4- गायत्री में ऐसी शक्ति सन्नहित है, जो महत्व पूर्ण कार्य कर सकती है। ( अरविन्द घोष )
5- गायत्री सद्बुद्धि का मंत्र है, इसीलिए इसे मंत्रो का मुकुट मणि कहा गया है। ( स्वामी विकेकानंद )
6- गायत्री का जप करने से बड़ी बड़ी सिद्धिया मिल जाती है। यह मंत्र छोटा है, पर इसकी शक्ति भारी है। (राम कृष्ण परमहंस)
7- भारत वर्ष को जगाने वाला जो मंत्र है, वह इतना सरल है की एक ही स्वाश में उसका उच्चारण किया जाता है। (रविंद्रनाथ टैगोर )
8- गायत्री में ईश्वर परायणता के भाव को उत्पन्न करने की शक्ति है। साथ ही वह भौतिक अभावो को दूर करती है। (लोकमान्य तिलक)
9- गायत्री के महिमा का वर्णन करना मनुष्य के सामर्थ्य के बहार है। गायत्री अदि मंत्र है। ये दुर्गुणों को दूर करता है। ( महर्षि रमन )
10- जो जिज्ञासु अर्थ पूर्वक इस मंत्र का नियम पूर्वक सप्रेम उच्चारण करता है, उसके लिए संसार सागर पार करने की नाव और आत्म प्रसाद प्राप्ति की सड़क जैसा है। ( टी सुब्बाराव )