Sita Mata Ki Aarti – सीता मैया जी की आरती

सीता माता भारत वर्ष में एक आदर्श नारी का उत्तम उदाहर है। सीता माता मिथिला के राजा जनक की पुत्री थी।  पिता का नाम जनक होने के कारन सीता जी को जानकी भी कहा जाता है।  सीता जी की  माता का नाम सुनयना था।  यहाँ माता सीता की आरती (Sita Mata Ki Aarti ) का वर्णन है।

वाल्मीकि रामायण के अनुशार माता सीता जनक को खेत में हल चलते समय एक पेटी से मिली थी। महर्षि याज्ञवल्क्य की दिव्यता से उसे सुनयना के गर्भ में स्थापित किया गया। और माता के रूप में सीता जी का पालन पोषण किया।

 

श्री माता सीता की आरती 

माता सीता का पूजन उनके मंदिरो में किया जाता है। खास कर सीता जयंती के दिन माता सीता की खास पूजन अर्चन होता है। पूजन अर्चन के बाद सीता माता की आरती होती है।

 

Sita Mata Ki Aarti

 

सीता माता की आरती –  Mata Sita ki Aarti 

 

आरती श्री जनक दुलारी की,
सीता जी रघुवर प्यारी की।

 

जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी।
परम दयामयी दिनों धारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की।

 

आरती श्री जनक दुलारी की,
सीता जी रघुवर प्यारी की।

 

सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित् वन वन चारिणी।
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की।

 

आरती श्री जनक दुलारी की,
सीता जी रघुवर प्यारी की।

 

विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई।
सुमिरात काटत कष्ट दुःख दायी,
शरणागत जन भय हरी की।

 

आरती श्री जनक दुलारी की,
सीता जी रघुवर प्यारी की।

 

माता सीता का जीवन 

ये पूरा जग जनता है, की माता सीता का विवाह अयोध्या नगरी के राजा दशरथ के पुत्र श्री राम से किया गया। भगवान राम के साथ चौड़ा साल वनवास गए। यहाँ लंका पति रावण के द्वारा अपहरण किया गया। राम ने रावण को युद्ध में हराकर सीता जी को वापस लाये।

आज स्त्रियों में उत्तम स्त्री और पतिव्रता स्त्री के तोर पर माता सीता को यद् किया जाता है। हिन्दू सनातन धर्म में सीता जी जैसे पात्र आदरणीय एवं पूजनीय है। उनके जीवन से हमें धर्म के साथ ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। माता सीता की आरती ( Sita Mata Ki Aarti ) से हमारे संकरो में वृद्धि होती है।

 

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