Surya Dev Chalisa – सूर्य चालीसा लाभ एवम महत्व

भगवान सूर्य नारायण की भक्ति करने वाले भक्त गण सूर्य चालीसा (Surya Dev Chalisa) का पठन एवं श्रवण करते है।

सनातन वैदिक संस्कृति सूर्य में नारायण का स्वरुप देखती है। इसीलिए इसे सूर्य नारायण कहा जाता है। सूर्य नारायण विश्व को अंधकार से दूर करता है। जगत को प्रकाशित करता है।

भगवान सूर्य नारायण की उपासना जीवन को प्रकाशित कर देता है। मनुष्य को मानशिक एवं शारीरिक रूप से तेजोमय बनाने के लिए भगवान सूर्य नारायण की उपासना होती है।

सुबह में सूरज के दर्शन मात्र से दिन सुनहरा हो जाता है। सूर्य देवता को तेजस्विता का प्रतिक माना जाता है। जीवन में तर्रक्की, ऊर्जा, तेज, प्रगति के लिए भगवान सूर्य नारायण की आराधना की जाती है।

 

सूर्य चालीसा (Surya Dev Chalisa) का महत्व

भगवान सूर्य नारायण के चालीसा सूर्य उपासना का एक भाग है। जिस तरहपवन पुत्र हनुमान के लिए हनुमान चालीसा है। शनि देव के लिए शनि चालीसा है। ठीक वैसे ही सूर्योपासना के लिए सूर्य चालीसा है।

सनातन संस्कृति के पांच मुख्य उपासना में एक सूर्योपासना है। सूर्य देवता आदि – अनादि काल से पृथ्वी के सभी जीवो का पोषण करते है। सूर्य के किरण सिर्फ मनुष्य ही नहीं, वनष्पति जीवन के लिए भी आवश्यक है।

सूर्य भगवान के अनंत उपकार इस जिव सृष्टि पर है। हम मनुष्य भगवान सूर्यनारायण की उपासना से अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते है। सूर्य भगवान के चालीसा से हम अपने मन के भाव प्रगट कर सकते है। हम सूर्य देवता की कृपा के हक़दार बनते है।

सूर्य भगवान हमें हमें नियमितता शिखाते है। अनंत वर्षो से सूर्य देवता का अपने समय पे सूर्योदय और सूर्यास्त होता है। एक भी दिन यदि सूर्योदय रुक जाये तो सृष्टि रुक सकती है। ये नियमितता का गुण हमारे जीवन में बहुत जरुरी है। जिसे हम सूर्य देवता से शिख सकते है।

 

सूर्य चालीसा – Surya Chalisa

 

Surya Dev Chalisa

 

दोहा

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइयए, शंख चक्र के संङ्ग।

 

सूर्य चालीसा चोपाई

जय सविता जय जयति दिवाकर, सह्त्रान्शु सप्ताश्व तिमिरहर।।
भानु पतंग मरीचि भास्कर, सविता हंस सुनूर विभाकर।।

विवस्वान आदित्य विकीर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन।
अम्बरमणि खग रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।।

सहस्त्रांशु प्रद्योतन कही कही, मुनिगत होत प्रसन्न मोदलहि।
अरुण सदश सारथि मनोहर, हांकत हय साता चढ़ी रथ पर।

मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।
उच्चैःश्ववा सदश हय जाते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।।

मित्र मरीचि, भानु अरुण भास्कर, सविता सूर्य अर्क खग कलिकर।
पूषा रवि आदित्य नाम लै, हिरण्यर्भाय नमः कहिकै।।

द्वादस नाम प्रेम सों गावै, मस्तक बारह बार नवावै।।

नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर को कृपासार यह।
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्ट सिद्धि नव निधि तेहिं पाई।।

बारह नाम उच्चारण करते, सहस जनम के पातक टरते।
उपख्यान जो करते तवजन, रिपु सौं जमलहते सोतेहि छन।

धन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबल मोह को फंद कटतु है।
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।।

सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देस दिनकर छाजत।
भानु नासिका वासकरहुनित, भास्कर करत सदा मुखको हित।

ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बिच तीक्ष्ण बस प्यारे।
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्म तेजसः कांधे लोभा।।

पूषा बाहू मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर।
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्म सुउदरचन।।

वसत नाभि आदित्य मनोहर, कतिमहं रहत मन मुदभर।
जंघा गोपति सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।।

विवस्वान पद की रखवारी, बहार बसते नित तम हारी।
सहस्त्रांशु सर्वार्ग सम्हारे, रक्षा कवच विचित्र विचारे।।

अस जोजन अपने मन माहिं, भय जगबीच करहुं तेहि नाहिं।
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै, जोजन याको मन महं जापै।।

अंधकार जगका जो हरता, नव प्रकाश से आनंद भरता।

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवैां ताही।।
मंद सदश सुत जग मे जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।

धन्य धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सौं, दूर हटतसो भवके भ्रम सौं।।

परम धन्य सों नर तन धारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।।
अरुण माध महं सूर्य फाल्गुन, मधु वेदांग नाम रवि उदयन।।

भानु उदय बैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।

यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहीं, पुरुष नाम रविहैं मालमसिंह।।

दोहा

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहीं जे नर नित्य।
सुख सम्पति लहि बिबिध, होंहि सदा कृतकृत्य।।

 

सूर्य चालीसा से लाभ- Benefit of Surya dev Chalisa

नित्य और नियमित सूर्य चालीसा का पठन और श्रवण से मनुष्य के लिए अति लाभदायी है।  यदि सूर्य चालीसा का पाठ हर रोज किया जाये तो उत्तम है, पर यदि रोज न हो सके तो रविवार के दिन सूर्य चालीसा का पठन करना चाहिए।

1- सूर्य चालीसा भगवान सूर्य नारायण की भक्ति का मार्ग है। और सूर्य नारायण अपने भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण करते है।

2- सूर्य चालीसा (Surya Dev Chalisa) से मनुष्य के जीवन में तेजस्विता बढ़ती है। जीवन में मान सन्मान और आदर बढ़ता है।

3- सूर्य को रवि भी कहा जाता है इसलिए रविवार के दिन सूर्यो पासना का विशेष महत्व है।

4- सूर्य चालीसा के पठन से ग्रहो की ख़राब दशा दूर होती है।

5- सुर्योपासना से घर मे सुख शांति और समृद्धि में वृद्धि होती है।

 शनि भगवान चालीसा

 शिव चालीसा दूर करे दुर्दशा

 श्री हनुमान चालीसा

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