भगवान सूर्य नारायण को जल अर्पित करना सूर्य उपासना की एक पद्धति है। भारतीय संस्कृति सदैव प्रकृति की पूजक रही है। इसमें भगवान सूर्य नारायण और चंद्र देव का विशेष महत्व है। सूर्य देव उपासना पहले पांच देव की उपसना में से एक है। सूर्य भगवान को जल कैसे अर्पण करे ( Surya ko jal kaise de ) ये बहुत सारे लोगो का सवाल है।
सूर्य देवता को जल कैसे अर्पित करे ( Surya ko jal kaise de ). सूर्य देवता को जल देते समय कोनसा मंत्र का उच्चारण करे ? सूर्य भगवान को जल देने से क्या फायदे है ? सूर्य देवता को जल क्यों चढ़ाया जाता है ? ऐसे सभी सवालों के जवाब आपको यहाँ से जरूर मिलेगा।
लोग सूर्य देव की उपासन अलग – अलग तरह से करते है। कोई सूर्य मंदिर में पूजन अर्चन करके सूर्य देव की उपसना करते है। कोई सूर्य नमस्कार करके सूर्यो पासना करते है। कोई भगवान सूर्य नारायण को जल अर्पित करके या अर्ध्य प्रदान करके सूर्य भगवान की आराधना करते है।
सूर्य देवता को जल क्यों चढ़ाते है ?
सूर्य देव उपासना ( Surya Dev Upasna) आध्यात्मिक भावनाओ से जुड़ा विषय है। हिन्दू सनातन धर्म में सूर्य को भगवान माना जाता है। सूर्य को देवता समज के पूजन अर्चन किया जाता है।
वैदिक संस्कृति में हमारे ऋषि मुनियो द्वारा आदि -अनादि काल में सूर्यो उपसना होती थी। ये उपासना पद्धति सदियों से चली आ रही है।
हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है। इस पांचो तत्वों के संतुलित रखना बहुत आवश्यक है।
सूर्य को जल सुबह जल्दी चढ़ाया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए हमें सुबह जल्दी उठना पड़ता है। हमारी दैनिक क्रियाये स्नान समय पर होता है। जिससे हमारी एनर्जी बानी रहती है।
सुबह में सूर्य की किरणे हमारे लिए एक डॉक्टर से कम नहीं होती। सुबह की किरणे हमारे शरीर के पंचतत्व को बैलेंस करती है।
सूर्य के किरण से हमें विटामिन D की प्राप्ति होती है। जो हमारी स्वस्थता के लिए अनमोल है।
सूर्य के को जल अर्पित करने के लिए हमें सूर्य के सामने खड़े होते है। सुबह की आने वाली किरणे हमारे शरीर में ऊर्जा का स्त्रोत बढाती है।
सूर्य किरणों से हमारा लीवर मजबूत होता है। और उसके कारण हमारी रोग प्रतिकारक शक्ति में वृद्धि होती है।
हमारे लोही का परिभ्रमण सूर्य प्रकाश से संतुलित रहता है। इससे हमें हार्ट अटैक जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है।
नित्य सुबह के सूर्य किरणों से हमें जॉन्डिस जैसी बीमारी नहीं होती। हमारी त्वचा से सम्बंधित रोग दूर होते है। हमारे ज़रते बाल को रोकने के लिए सुबह की सूर्य की किरण अनमोल औषधि है।
नित्य और नियमित सूर्य के किरणों से दिमाग की दुर्बरता और उससे जुडी हुई समस्या दूर होती है। और हम कार्यशील रहते है।
ज्योतिष की नजर से सूर्य को जल अर्पित करने का महत्व
सूर्य नारायण को नित्य जल चढाने से हमारा राहु ग्रह शांत होता है। और सूर्य ग्रह एक्टिव हो जाता है।
नित्य सूर्य पूजन से समाज में मान बढ़ता है। प्रतिष्ठा बढ़ती है। हम हर वह बुरे काम से बचते है जिसे हमें लांछन लगे।
सूर्य को सभी ग्रहो का मुखिया माना जाता है। इसीलिए सूर्य उपासनासे किसी भी ग्रह का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
नित्य भगवान सूर्य नारायण की आराधना से भाग्य के द्वार खुल जाते है। जीवन उन्नति की तरफ बढ़ता है।
सूर्य को जल चढ़ाते समय बोले जाने वाला मंत्र – Surya Jal Arpan Mantra
आदि देव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोस्तुते।।
अर्थ – है आदिदेव , आपको प्रणाम करता हु। है भास्कर आप मुज पर प्रसन्न हो। है दिवाकर, है प्रभाकर में आपको प्रणाम करता हु।
इसके आलावा भगवान सूर्य नारायण की उपसना हेतु निचे दिए गए मंत्रो का उच्चारण किया जाता है। ये सूर्य देवता के 12 पवित्र नाम है। इस नाम का जाप भी हम सूर्य को अर्ध्य देते वक्त कर सकते है।
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रविये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पूष्णे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरीचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अकार्य नमः
- ॐ भास्कराय नमः
सूर्य को जल कैसे अर्पित करें, सही तरीका – Surya ko jal kaise de
भगवान सूर्य नारायण को जल अर्पित करना एक धार्मिक विधि है। सनातन संस्कृति की पूजा पद्धति का एक हिस्सा है। इस धार्मिक विधि के दौरान बहुत सारी चीजों का ध्यान रखा जाता है।
Surya ko jal kaise de
1- सूर्य को अर्ध्य देने के लिए सुबह जल्दी उठना होता है। दैनिक क्रिया स्नानादि करके तैयार हो जाये ।
2- सुबह के समय जब सूर्य की किरण निकलती है तब सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए। सुबह के 8 बजे से पहले ।
3- हमारे पूजा कक्ष या मंदिर में पूजन के लिए बैठे तो ताम्बा के लोटे में पानी भर के बैठे ।
4- ताम्बे के लोटे में अक्षत और पुष्प रखे, हो सके तो थोड़ा कुम कुम ऐड करे ।
5- सूर्य को जल चढ़ाते समय हमारा अंगूठा और पहली अंगुली साथ नहीं होनी चाहिए ।
6- हमारा मस्तक सूर्य देवता को नमन की मुद्रा में होना चाहिए ।
7- पानी हमारे चेहरे के सामने से गुजरे इतनी उचाई से जल चढ़ाना चाहिए ।
8- जल चढ़ाते वक्त हमें सूर्य नारायण का मंत्र बोलना है। सूर्य नारायण का मंत्र निचे दिया गया है।
Surya ko jal kaise de
सूर्य को जल देने के फायदे – सूर्य जल अर्पण लाभ
सूर्य देव को जल चढाने से मनुष्य को बहुत लाभ होता है, यह निश्चिंत है। उसके लिए सूर्य देव के प्रति हमारी श्रद्धा, हमारी भावना और हमारी कृतज्ञता का अहम् रोल होता है।
हिन्दू सनातन धर्म में 33 कोटि देवी देवता है। इसमें एक सूर्य देवता ही हमें रोज प्रत्यक्ष दर्शन देते है। सूर्य उपसना का महत्व और उससे होने वाले लाभ कही हिन्दू धर्म ग्रंथो में और पुराणों में मिलते है।
महाभारत और रामायण में भी सूर्य आराधना का महत्व बताया गया है।
यहाँ हम धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्य उपासना पद्धति के लाभ निचे दिए गए है।
1 – सूर्य देवता को जल अर्पण करने से सूर्य के किरण हमारी आँखों, त्वचा और शरीर पर पड़ती है। इससे विटामिन D के साथ बहुत सारी एनर्जी मिलती है। जो हमारी रोगप्रतिकारक शक्ति को बढ़ता है। और निरोगी रहने में मदद करता है।
2 – सूर्य देव प्रकाश के देवता है, नियमित पूजन से हमारे जीवन में ऊर्जा एवं तेजस्विता बढ़ती है।
3 – सभी ग्रहो में सूर्य को राजा माना जाता है। उपसना से किसी भी ग्रह का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। और हमारा भाग्य प्रबल एवं प्रगतिशील बनता है।
4 – किसी भी कार्य में नियमितता हमें सफलता प्रदान करती है। सूर्य देवता की निरंतर आराधना हमें समाज में यश, कीर्ति और सन्मान दिलाती है।
5 – सूर्य भगवान को पिता तुल्य माना जाता है। पिता कही बार हमारे सामने कठोर हो जाते है। ठीक उसी तरह सूर्य का तेज, ताप हमें कठोर लगता है। पर ये दोनों हमें मजबूत बनाने के लिए हमारी भलाई के लिए होते है।
6 – सुबह के सूर्यो किरण से शरीर स्फुर्तीला हो जाता है। जो हमारे काम करने की क्षमता को बढ़ाता है। हमारी सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
7 – पूर्ण श्रद्धा भाव से किसी भी देव की उपासना से देव प्रसन्न होते है। जिसकी कृपा हमेशा भक्तो पे बनी रहती है। नित्य निरंतर सूर्य देव की उपासना से भी हमारी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
भगवान सूर्य नारायण से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
परोपकार वृति
भगवान सूर्य नारायण निःश्वार्थ भाव से सृष्टि को प्रकाश प्रदान करते है। ऊर्जा, तेज ये जगत के लिए अनिवार्य है। भगवान सूर्य देव हररोज अपने समय पे उदय हो जाते है। उन्हें किसी से किसी भी तरह की अपेक्षा नहीं है।
हम एक दीपक जलाते है, तो भी हमारी बहुत सारी मांगे होती है। बहुत सारी आशा और भावना के साथ हम धार्मिक क्रिया में दिप प्रागट्य करते है।
सूर्य देवता विश्व से किसी भी प्रकार की आशा नहीं रखते और निरंतर दुनिया में प्रकाश फैलाते है। यह विश्व के प्रति परोपकार वृति है, जिसे हम अपने जीवन में चरितार्थ कर सकते है।
नियमितता
सूर्य नारायण से हमें नियमितता का गुण सीखने को मिलता है। हमने अपने जीवन में कभी नहीं सुना होगा की आज सूरज दादा अपने समय पे सूर्योदय नहीं हुए। हररोज नित्य, नियमित, बिना रुके, बिना थके अपने समय पे सूर्योदय और सूर्यास्त होता है।
लगातार,नियमित, नित्य किया जाने वाला काम एक तपस्या बन जाता है। यह साधना हमें किसी भी मंज़िल के नजदीक ले जाती है। सूर्य नारायण आदि – अनादि काल से नियमित अपने समय पे अँधेरा दूर करते है।
नियमितता का मूल्य मानव जीवन में बहुत है। हमें जीवन में आगे बढ़ते के लिए, सफल होने के लिए अपने काम को नियमित और निरंतर करना पड़ता है। हम किसी भी तरह का बहाना न बनाके नित्य और निरंतर काम करने की प्रेरणा हम सूरज दादा से ले सकते है।
Q- सूर्य को अर्ध्य देने का सही समय क्या होता है ?
भगवान सूर्य नारायण को अर्ध्य सुबह सूर्योदय के समय देते है तो, उत्तम माना जाता है। सूर्योदय के एक घंटे के अंदर या सुबह 8 बजे से पहले सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए।
Q- सूर्य के जल देते समय जल में क्या डालना चाहिए ?
सूर्य को जिस जल से अर्ध्य देते है वह शुद्ध जल होना जाहिए। ताम्बे का लोटा से जल अर्पित किया जाता है। अक्षत, पुष्प अवं कुमकुम के साथ जल को अर्पित करना उत्तम माना जाता है।
भगवान सूर्य नारायण की उपासना शक्ति वर्धक है। महाभारत काल में माता कुंती एवं सूर्य पुत्र दानवीर कर्ण निरंतर सूर्य नारायण को जल अर्पित करते थे। रामायण में भगवान श्री राम भी सूर्य नारायण की उपासना करते थे। भगवान सूर्य देव को जल कैसे अर्पित करते है ? (Surya ko jal kaise de) इस आर्टिकल में सम्पूर्ण माहिती दी गयी है। फिर भी यदि इससे जुड़ा कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते हो ।