Vastu Pujan Vidhi – वास्तु पूजन विधि और महत्व

धर्मज्ञान से भरी हुई भारतीय संस्कृति में वास्तु पूजन के महत्व को जानना अति आवश्यक है। वास्तु पूजन क्या है ? वास्तु पूजन कैसे और कब करते है ? वास्तु पूजन की विधि (Vastu Pujan Vidhi) क्या है ? वास्तु देव पूजन में क्या क्या सामग्री चाहिए ? ऐसे सभी सवालों के जवाब आपको यहाँ मिलेगा। 

 

वास्तु शांति पूजन क्या है ?

किसी भी मनुष्य के लिए घर एक सपना होता है। घर बनाने के लिए व्यक्ति अपने पूरी जीवन कमाई इसमें खर्च कर देता है।

जब हम नयी जमीन पे निर्माण कार्य करते है तो कही प्रकार के दोष के कारण बनते है। इस दोष निवारण हेतु सम्पूर्ण धार्मिक मंत्रोच्चार के साथ की जाने वाली पूजा को वास्तु पूजन कहते है।

1 – जिस जमीन पे हमने निर्माण किया उस जमीन पर पहले कही जिव का वास हो सकता है। हमारे निर्माण कार्य के कारण जिव को वह जगह छोड़नी पड़ती है। उसका दोष के भागीदार हम बनते है।

2 – ईमारत के निर्माण कार्य के दौरान बहुत सारे औज़ार, पथ्थर, लकड़ा, गिलास इत्यादि वस्तु ओ का उपयोग किया जाता है। ये सभी वस्तु जहा भी बनी होगी उससे जुड़ा कोई भी दोष के हम भागीदार बनते है।

3 – ईमारत के निर्माण कार्य के दौरान कोई अप्रिय घटना बनी हो, या जाने – अनजाने में कोई जिव जंतु का मृत्यु हुआ हो तो उसके दोष के हम भागीदार बनते है।

जाने अनजाने हम बहुत सारी ऐसी परिस्थिति बनती है, जहा हम पाप के भागीदार बनते है। और विनाश की तरफ बढ़ते है। हमारा और हमारे परिवार का दुर्भाग्य को दूर करने के लिए, सद्भाग्य की और आगे बढ़ने के लिए हमें वास्तु पुरुष की पूजन विधि करनी चाहिए।

 

 

Vastu Puja vidhi

 

 

वास्तु पूजन विधि का महत्व – Importance of Vastu Pujan Vidhi

सनातन हिन्दू संस्कृति में आध्यात्मिकता के साथ विज्ञानं भी जुड़ा हुआ है। हिन्दू धर्म में अनहद प्रकृति प्रेम बताया गया है। प्रकृति प्रेम के प्रतिक के रूप में घर को एक मंदिर की उपमा दी जाती है। मंदिर वह है, जो जगह पवित्र है, जहा देव निवास करते है। जहा सुख एवं शांति की अनुभूत होती है।

मनुष्य जीवन अनेक विपत्तिओं से भरा रहता है। अनेक उतार चढाव से पसार होता है। दिनभर की अनेक समस्या का सामना करने वाले मनुष्य को शांति चाहिए। और यह शांति अपने घर में मिलती है।

हम जिस जमीन, जिस जगह पे आशियाना बनाते है, वहां किसी भी तरह का  दोष नहीं होना चाहिए। वह भूमि पवित्र और ऊर्जावान होनी चाहिए। वास्तु पूजन की विधि का महत्व इसीलिए बढ़ जाता है क्योकि, वास्तु पूजन से सभी प्रकार के दोष दूर होते है। वास्तु पूजन एक लम्बी प्रक्रिया है। इसे किसी भी तरह छोटा नहीं करना चाहिए।

हिन्दू संस्कृति में भूमि पूजन से लेकर गृह निर्माण एवं गृह प्रवेश  धार्मिक भावनाओ से जुड़ा हुआ अविभाज्य अंग है। वास्तु पूजन की विधि (Vastu Pujan Vidhi) उत्तम ब्राह्मण से उत्तम तरीके से करवानी चाहिए।

 

नयी जमीन और नए निर्माण के दौरान जाने अनजाने में बहुत सारी ऐसी परिस्थितया बनती है, जिसके दोष ( पाप ) के हम भागीदार बनते है। इस दोष के निवारण हेतु और जीवन में सुख शांति एवं समृद्धि हेतु, वैदिक हिन्दू सस्कृति में वास्तु पूजन की एक धार्मिक प्रक्रिया है। नए निर्माण के बाद गृह प्रवेश से पहले इस विधि को अवश्य भक्ति भाव पूर्ण और उत्साह से करना चाहिए ।

 

वास्तु पूजन न करने से क्या हो सकता है ?

सनातन हिन्दू धर्म में गृहपवेश से पहले वास्तु पूजन को आवश्यक माना जाता है। वास्तु पूजन का उल्लेख रामायण, महाभारत एवं पुराणों मिलता है।

1 – वास्तु पूजन नहीं करने से मनुष्य को जीवन में बहुत सारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

2 – वास्तु दोष के कारण मानव जीवन सुख एवं शांति से वंचित रहता है। व्यक्ति बेचैन चिडिला रहता है।

3 – घर के मुखिया या परिवार के सभ्यो में हमेशा कलह और झगड़ा का वातावरण बना रहता है।

4 – जिस घर में वास्तु पूजन न हुआ हो उस घर नकरत्मक्त शक्तिओ से भरा रहता है।

5 – वास्तु दोष के कारण मानसिक एवं शारारिक रूप से शांति की अनुभूति नहीं होती।

6 – वास्तु दोष हमारे जीवन की प्रगति में बाधा उत्पन्न करता है।

7- घरमे नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

 

वास्तु देव पूजन विधि की सामग्री

वास्तु पूजन विधि (Vastu Pujan Vidhi) में सामग्री का खास ध्यान रखा जाता है। वैसे ब्राह्मण देवता वास्तु पूजन की सामग्री रखते है। और कही ब्राह्मण हमें लिखके भी देते है। कुछ चीजे ऐसी होती है जिसे ब्राह्मण अपने साथ लाते है और कुछा हमारे पास मंगवाते है।

  • हवन कुंड और हवन सामग्री
  • फूल और फूलो का हार
  • पंचामृत, चावल
  • पीला एवं लाल रंग का कपडा
  • थाली, चमच, कलश
  • गाय का घी, मिटटी का दीपक
  • फल एवं मिठाई
  • इलाइची, लॉन्ग, मिश्री
  • अबिल, गुलाल सिंदूर
  • मौली, श्री फल, कुमकुम
  • पान एवं सुपारी
  • गंगा जल, गुलाब जल, गो मूत्र
  • अगरबत्ती, रुई, कपूर
  • आम की लकड़ी, आम के पत्ते
  • काळा तिल, सुगन्धित द्रव्य
  • वस्त्र दान

हम एक घर बनाने के लिए या खरीदने के लिए लाखो रूपया खर्च कर देते है। पर उस घर को मंदिर बनाने के लिए वास्तु पूजन से दूर भागते है। हमारा घर एक मंदिर की तरह हो, यह कल्पना वास्तु पूजन के बगैर सार्थक नहीं होती। 

 

वास्तु पूजन की विधि – (Vastu Pujan Vidhi)

हिन्दू धर्म में गृह प्रवेश  एक धार्मिक विधि होती है। गृह प्रवेश में वास्तु पूजन की विधि में समय ज्यादा लगता है। एक से ज्यादा ब्राह्मण वैदिक मंत्र  उच्चारण के साथ वास्तु पूजन (Vastu Pujan Vidhi) करवाते है।

वास्तु पूजन करने से एक दिन पहले सम्पूर्ण घरकी साफ सफाई करवानी चाहिए । रंगोली एवं पुष्प से घर को सजाना चाहिए।

वास्तु पूजन के दिन वास्तु पूजन में बैठने वाले पति पत्नी को उपवास रखना होता है। वास्तु पूजन की प्रक्रिया के बाद भोजन किया जा सकता है।

वास्तु पूजन के लिए जातक को सूर्योदय की दिशा याने पूर्वे में मुख रखना है। अपनी बायीं बाजु पत्नी को बिठाना है। ये सभी मार्गदर्शन ब्राह्मण देवता के द्वारा मिलता है।

ब्राह्मण के द्वारा मंत्रोच्चर किया जाता है। सबसे पहले स्थान शुद्धि, आसान शुद्धि, शरीर शुद्धि की जाती है।

प्रथम पूजनीय विग्नहर्ता श्री गणेश की पूजा से वास्तु पूजन विधि की शरुआत होती है।

कलश स्थापन और नवग्रह पूजन किया वास्तुमंडल पूजन, जिस 81 पदों में 45 देवताओ का निवास होता है, उस 81 पद में वास्तु चक्र का निर्माण किया जाता है। सभी 45 देवता को आहुति दी जाती है और पूजन किया जाता है।

सभी दिशाओ, धरती माता ( पृथ्वी ) आकाश ( नभ ) का पूजन किया जाता है। ध्वजा स्थापन, वास्तु पुरुष स्थापना, वास्तु देवता होम, अभिषेक, एवं गृह हवन के साथ ब्रह्म भोजन, उत्तर भोजन के साथ पूर्णाहुति जैसे सभी धार्मिक विधि वास्तु पूजन विधि ( Vastu Pujan Vidhi) में की जाती है।

 

वास्तु शांति पूजन से क्या लाभ होता है ? Vastu Dev Puja

हिन्दू धर्म ग्रथो में नए निर्माण के लिए वास्तु पूजन अनिवार्य बताया गया है। वास्तु पूजन से मनुष्य को अनेक लाभ होते है।

1-  घर से किसी भी तरह का दोष दूर होता है।

2- घर एक मंदिर की तरह पवित्र हो होता है।

3- परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम भावना बनी रहती है।

4- घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है, जो जीवन में खुश हाली भर देती है।

5- परिवार के सभी सदस्य को मानशिक एवं शारारिक स्वस्थता की अनुभूति होती है।

6- वास्तु पूजन विधि अनहोनी, नुकशान एवं दुर्भाग्य से हमें दूर रखता है।

7- वास्तु देव पूजन से घरमे कलह, दरिद्रता एवं बीमारी हमेशा दूर रहती है।

8- वास्तु देवता की उपासना से हमारी सभी मनोकाना पूर्ण होती है।

9- लक्ष्मी का सदैव वास रहता है। धन धान्य की कमी नहीं रहती।

 

वास्तु पूजन नए घर में एक बार होता है। लोग वास्तु के ऑप्शन में सत्यनारायण की पूजा करवाते है। जो सही नहीं है। सत्यनारायण की पूजा हम कभी भी करा सकते है। वास्तु शांति पूजन एक ही बार होता है।  इसमें किसी भी प्रकार का शार्ट कट नहीं अपनाना चाहिए ।

गृह प्रवेश कब किया जाता है ? गृह प्रवेश का मुहरत 

वास्तु पूजन के बाद गृह प्रवेश की धार्मिक विधि होती है। हमें गृह प्रवेश ब्राह्मण देवता ही कराते है। ये धार्मिक क्रिया मंगलवार एवं रविवार को वर्जित मणि जाती है। मंगलवार एवं रविवार के दिन छोड़कर यह विधि हो तो अति उत्तम माना जाता है।

अमावश्या एवं पूर्णिमा को छोड़कर दूसरी कोई तिथि पे गृह प्रवेश उत्तम लाभदायी होता है। यह सभी निर्णय हमारे नजदीकी ब्राह्मण देवता से मुहरत निकल कर लेना चाहिए।

 

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